खुद से खुद तक...
दुनिया से जीतने का जज्बा रखती हूं
लेकिन खुद से खुद की लड़ाई बहुत
लम्बी है...
अपनों को साथ रखने का वादा करती हूं
लेकिन खुद से खुद की तन्हाई बहुत
लम्बी है...
आंखें तो अल्फाज बयां करती है
लेकिन लफ्जों की खामोशी बहुत
लम्बी है...
शांत तो मैं बहुत हूं लेकिन शब्दों
से अल्फाजों को बयां करने की चाहत बहुत
लम्बी है...
अगर यकीन ना हो तो खुद से
खुद की मंजिल का पता पूछ
लेना क्योंकि यह राह बहुत
लम्बी है...
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