नामुकम्मल ख़्वाहिशों को महफूज़,दिल मे कर लिया,
टूटे हर ख़्वाब वजूद से सवाल कर रहे थे।
फिर भी...
उजियारा वफा का नज़र आता रहा हर तरफ,
चिंगारी एतेबार की जो जला रहे थे।-
न कर कुदरत से वफा की उम्मीद,
ख़ता करके तूने मुस्तकबिल खुद बिगाड़ा है।
बेरहमी से काटकर उन हरी भरी शाखों को,
तमाम परिंदों का घरौंदा एक पल मे उजाड़ा है।
जहर घुली हवा मे सांसें क्यों अब थम रहीं है,
है आह कुदरती माहौल की,आबोहवा का ये जनाज़ा है।
न बनो इस कदर आराम पसंद,न भागो वक्त से तेज इतना,
न होगा वो आसमान,हमपर खुदा का जो महफ़ूज़ साया है।
सहेजकर रखो इन्हे,खुशियां बाँटते रहेंगे हमेशा,
है सच्चे दोस्त यही,जिन्होनेेे किसी हाल मे हमें तन्हा न छोड़ा है।
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ओढ़कर एहसासों की गर्म चादर,
महफूज़ खुद को तेरे आगोश में पा रहे हैं।
मजाल फिक्र की भी न हुई,आने की सामने,
कुछ पल को सही हर कश्मकश से राहत पा रहे हैं।
हर्फों में बुनकर तुझको दास्तां बना रहे है,
यादों के साए में,ख़्वाहिशों का शजर सजा रहे हैं।-
इतने महफ़ूज थे दिल में वो कि
मुसीबत को भी शरमाना पड़ा
पता लगा कि प्यार सच्चा है तो
लौट के उसको भी जाना पड़ा-
जरूरी नहीं हर याद का एहसास कराया जाए।
कुछ यादें महफूज़ भी रखनी पड़ती हैं।-
..Tu khushboo sang bikhar jati thi
Mai hawaao sang tujhe mehsoos karta Tha!
Tu mere dhadkano me samaai thi..
Mai bhi shayad isliye mahfooz rahta Tha?-
KYA wo vaastav me khaas hai
jo mere dilo dimaag ke paas HAI
KYA wo bhi yeh mehsoos karti hai
jise maine dil me rakha mahfooz HAI-
हम उसके इश्क़ के मरीज़ क्या हुए,
हमें महफूज़ करने के लिए,
वो हमारे गले का ताबीज़ हो गए...♥️-