हर तरफ उजाले, कुछ झोपडी, कुछ इमारतें,
कुछ नज़ाकत, कुछ लम्हें और ढेर सारा शोर,
नहीं-नहीं ये नहीं मिलेगा आपको जन्नत में कहीं,
बस मुस्कुराइए और आ जाइए लखनऊ की ओर-
Mai lucknow ka nawaab hu tu yhaa ki najjakat hai
Tu khubsurat chikan ki design hai mai usme uljha dhaga hu
Tu hazratganz ki raunak hai..
Me usme chlta musafir hu
Tu gomti si behti hai mai tujhme ramna chahta hu
Teri boli me ghajak si mithas hai..
Tu jama masjid si pak hai
Mai tera sajda karta hu
Teri bate janeshwar jitni lambi hai
Tere sang har sham tehelna chahta hu
Mai lucknow ka nawab hu ,tu yhaa ki najakat hai
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लखनऊ
तहजीब की तारीफ में मशहूर है इस शहर का नाम,
जनाब ये है नवाबों का गढ़ होता है जहाँ चिकनकारी का काम।
कवालियों की गूंज हो या गजल के लफ्ज़ मनोरंजन का उत्साह बढातें हैं,
कवि सम्मेलन हो या नाटक प्रस्तुति लखनऊ समारोह का विशलेषण कराते हैं।
कहीं रोजमर्रा की जिदंगी में दौड़,
कहीं पतंगबाजी की लहर में होड़।
शहीद स्मारक हो या इमामबाड़े की सैर ,
सब हो सकती है CCTV कैमरे में कैद।
गंज की गलियों में दोस्तों के साथ घंटों गपशप लड़ाना,
फिर कुछ चाय की चुस्की का लुत्फ उठाना।
अदब की पहचान है उन बहती हवाओं में,
जो पल भर मोहब्बत कराती हैं शाम-ए-लखनऊ से।
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Gaali, asabhyata se dur ek shahar....
Satya hai bhale ajeeb hai....
Pyaar ,sundarta se bhara....
Mera shahar -e - tahzeeb hai.....-