उन दो पंक्तियों में
मैंने अपनी पूरी कहानी लिख दी |
" मौत बड़ी पास से गुजरी ,
जिन्द़गी ने होंठों पर झूठी मुस्कुराहट रख दी |
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ताउम्र ढूंढती रही,
एक अंजाना सफ़र चलती रही,
मिली भी तो नज़रे तुमसे कुछ इस मुकाम पर...
तुम दरिया के उस किनारे और मैं इस किनारे चलती रही.....-
मसला ये है कि, देख कर उनकी नैनों को, काजल से बातें करता था,
उल्फ़त के बौछारों के मद्दे नज़र, मैं अक्सर, बादल से बातें करता था,
दूसरों के ख़ातिर, उनके रुख़सत होने के, मुझे वो दिन भी याद हैं कि,
किसी रकिब को, दाने डालते उसे देख, मैं, आईनों से बातें करता था...-
यही तक था सफर मेरा
अब मुझे लौट के जाना है...
बस तुझे पाने की चाह मे
मैंने खुद को खो दिया है...
तेरी यादो से किया था ये सफर शुरू
तेरी यादो पे ख़त्म करना है...
खुद से रूबरू होने के लिए
मुझे तेरी यादो को भुलाना है...
यही तक था सफर मेरा
अब मुझे लौट के जाना है...
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छोड़ दिया हमने अब लिखना
की मन में अब ख़्याल नही आते
सवेरा होता है इसलिए जागते तो है
लेकिन आंखों से तेरे सपने नही जाते-
तुझे रोज़ लिखा करते हैं
तुझसे तेरी तुझ बिन
अक्सर हम खुद से बाते किया करते हैं ..-
No one can take your place
and I can never belong to anyone
even if I want to.
I am yours and yours only
You can come into my life
whenever you want
I'm waiting you ❤️
Every second
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