बहुत गुमनाम से है चाहत के रास्ते,
तू भी लापता, मैं भी लापता..-
24 SEP 2020 AT 12:20
ताउम्र तेरी फरियाद करूँ ऐसा मैं नहीं मानता।
कल जब किसी ने मुझसे पूछा तेरे बारे में,
कह दिया....... इसे मैं नहीं जानता..!!!-
6 NOV 2019 AT 9:27
सुना है, ज़िन्दगी बड़ी रंगीन है....
फिर न जाने क्यू , हमारी इतनी ग़मगीन है..???-
6 JUN 2018 AT 18:17
एक चिठी जैसी थी मैं...नाम पता सब मुकम्मल थे मेरे...फिर भी...लापता रही....तेरे इन रिश्तों के शहर में ..!!!
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23 FEB 2021 AT 22:35
मैं नादाँ ढूँढती रही_किधर गया
वक़्त ही था बेशक़_ गुज़र गया
आँगन का सूख_मेरे शजर गया
गाँव मेरा वीरान_वो शहर गया
वादे किये मुझसे_पर मुकर गया
मैं हूँ लापता_वो अपने घर गया
कैसे चलूँ_कर ख़त्म सफर गया
ज़िंदा रही_हलक से ज़हर गया
मेरे लिए _सब कुछ यूँ ठहर गया
नज़्म है आज़ाद_शेरों से बह्र गया-
27 SEP 2019 AT 0:01
11 JUN 2021 AT 7:29
ये गलत कहा तुमने की मेरा कुछ पता नहीं है
कोई ढूढ़ने की हद तक तुम्हें ढूंढता ही नहीं है।
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