Priya   (PriyaaQuill)
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ज़िंदगी का हर फ़लसफ़ा यही फ़क़त कहता है
गहरी हो बात ग़र तो समझने में वक़्त लगता है
😊😊
Joined 24 July 2019


ज़िंदगी का हर फ़लसफ़ा यही फ़क़त कहता है
गहरी हो बात ग़र तो समझने में वक़्त लगता है
😊😊
Joined 24 July 2019
11 DEC 2023 AT 9:59

इक मामूली सा ख़्याल हूँ,
कभी आऊँ, तो मुस्कुरा देना..
इक अनसुलझा सवाल हूँ,
ना सुलझा.... तो भुला देना..

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2 DEC 2023 AT 14:10

रखना तुम सबर यारा, मुकम्मल सारे ख़्वाब होंगे...
ज़िन्दगी के जैसे सवाल होंगे, वैसे तुम्हारे जवाब होंगे..

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22 NOV 2023 AT 20:57

बुरे वक़्त में भी जो तुमसे जुदा ना हो...
ग़ौर से देखना उसे, कहीं वो ख़ुदा ना हो..

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1 OCT 2023 AT 12:47

जुदा से वो और मुख्तलिफ़ अंदाज़...
कुछ इस तरह हुआ दिन का आगाज़...

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25 SEP 2023 AT 11:23

कितनी अहमियत है मेरी,
वक़्त बेवक़्त बताया करो..
जो ग़र मोहब्बत है मुझसे,
हर वक़्त जताया करो...

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22 SEP 2023 AT 22:56

वक़्त की नहीं, ये दिल की बात थी
मैं दूर सबसे, हर पल तुम्हारे साथ थी...

मुझे तोड़कर बिखेरकर चले गए तुम
मैं गुड़िया थी इक, कमज़ोर काठ की...

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20 SEP 2023 AT 20:54

मेरा घर.......
मेरा घर कोई जगह नहीं...
एक प्यारी याद है बस...
जो निकल आए हैं रोज़ी कि तलाश में,
घर कि याद ही उनके हर पल साथ है बस...

मेरे घर के आँगन में वो आम का पेड़..
उसके फलों का ही याद मुझे स्वाद है बस...
मेरे घर आते मेरे सारे दोस्तों की ही...
मुझे याद हर मुलाक़ात है बस..

सुकून के कुछ पल फिर दे जाए मुझे..
कोई फिर मेरे यादों के घर ले जाए मुझे..
दादी माँ मेरी फिर लोरी सुनाए मुझे...
मेरी माँ फिर खाना खिलाए मुझे...

मेरा घर कोई जगह नहीं...
एक प्यारी याद है बस..
ये याद.. हर पल.. हर जगह..
मेरे साथ है बस.....

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11 SEP 2023 AT 16:23

चलता रहा मुसलसल मैं... तमाम उम्र इंतज़ार में या रब
रास्ते ने थकाया भी बहुत, मंज़िल का होने भी नहीं दिया

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17 AUG 2023 AT 17:05

मंज़िलों को पार होते देखा, सफ़र बेशुमार होते देखा
इक सलीकेदार झूठ ने, सच को तार तार होते देखा

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31 JUL 2023 AT 22:32

ढल रही शाम, बोझिल आँखें लिए हूँ..
ज़िंदगी काटने, बस चंद साँसें लिए हूँ..

नाम मेरा क्या था, क्या थी पहचान..
भीड़ में गुम, अधूरी मुलाकातें लिए हूँ ..

रिश्ते सब झूठे, खोखली वफ़ा रही..
दगा था सच्चा, कागज़ी वादे लिए हूँ..

किसीने गिराया, किसीने रुस्वा किया..
सबने भुलाया, मैं बस यादें लिए हूँ...

अब हो खत्म, थमे ये सिलसिला..
थक गई हूँ, गैरों की सौगातें लिए हूँ..

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