~मुकद्दर~
लग गई आग, मेरे सारे सपनो में, तो बचा ही क्या है,
अगर बच गई एक ज़रा भी उम्मीद, तो समझो, जला ही क्या है।
अपनी काबिलियत से अपनी इस उम्मीद को है जगाया, सपने ना पूरे होने के, उस डर को है भगाया,
तकदीर, किसी किस्मत की मोहताज नहीं,
तकदीर किसी, किस्मत की मोहताज नहीं,
हम तो वो है, जिसने किस्मत और मुकद्दर को मेहनत से है मिलाया।
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