बुलंदी
कल तलक जिन भी वादो, इरादो के "पर" आने लगे थे,
आज अचानक उन सभी के दरमियाँ "पर" आने लगे हैं
खैरख्वाह के बेशर्त बातों की कतार रहा करती थी,
अब अचानक ना जाने कतारों में "मगर" आने लगे हैं।
सपनों की उड़ान की पतंगे तो बहुत बुने थे,
पर ना जाने क्यों ये "पतंग" अब डगमगाने लगे है।
खुद के हौसलों की "कील" बना कर ऊंचाई तलक चढ़ना था,
पता नही कैसे वो ही "कील" अंदर ही अंदर चुभने लगे है।
"पर" इन किलों का "पर" बना कर एक दिन आसमान की उस बुलंदी तक उड़ जाऊंगा,
लाख करेगा ज़माना मुझे गिराने की कोशिश,
"मगर" मैं किसी के हाथ ना आऊंगा, किसी के हाथ ना आऊंगा।।-
ये शायरी ना होती तो कैसे बयान करते
प्यार, दर्द, दोस्ती, खुशी, संतोष, प्रेम-घृणा, क्रोध-क्षमा,
और ऐसे ही अनगिनत जज़्बात।।
Happy World Poetry Day-
मंज़िल पाने की आस नही,
बस उम्र भर के इस सफर में
तुम्हारे जैसा एक हमसफर ज़रूरी है,
तुम्हारा साथ ज़रूरी है,।।
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एक कशिश, एक चाहत, एक अनकही सी आहट हूं,
तेरे लिए,
गर्मी के दिनों में ठंडी की राहत हूं,
तेरे लिए,
मैं अपने दोनो तरफ एक सा हूं,
तेरे लिए,
किसी से शर्त लगा,
फिर मुझे उछाल के देख,
मैं हर शर्त जीत जाऊंगा,
तेरे लिए।।-
ख़्वाब
आज एक बात तो बताओ मुझे
ज़िन्दगी ख्वाब क्यों दिखाती है
कौन इस घर की देख भाल करे
रोज़ एक चीज़ टूट जाती है
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*Dear All*
Donating food to the needy makes the world a beautiful and a better place for people to live.
If each of us does the same, nobody will sleep on an empty stomach.
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*This year on the Diwali Eve, HELPS has pledged to feed 100 hungry person and spread the smile.*
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कुछ वाली जिंदगी
कुछ रास्ते थे, कुछ फासले थे,
इन रास्तों पे कभी कोई आया नही, इन फसलों को कभी किसी ने मिटाया नहीं।।
कुछ हस्ते थे, कुछ हंसाते थे,
जो हस्ते थे उन्होंने कभी हसाया नही,और जो हंसाते थे उन्होंने कभी रुलाया नही।।
कुछ खास थे, और कुछ पास थे,
जो खास थे वो, कभी पास आ ना सके,और जो पास थे वो, खास बन ना सके।।
कुछ सफलताएं थी, कुछ असफलताए थी,
सफलताओं ने अंधेरे में कहीं घर बना लिया,और असफलताए अंधेरे में भी चमकने लगी।।
कुछ सर्वज्ञ थे, कुछ अल्पज्ञ थे
सर्वज्ञ ने गुरुर करना कभी, सिखाया नही,अल्पज्ञ ने अहंकार से ज्यादा कुछ दिखाया नही।।
कुछ चेत थे, तो कुछ अचेत थे,
चेत ने कभी सच्चाई को दिखाया नही,अचेत ने कभी झूठ बोलना सिखाया नहीं।।
कुछ वहम में थे, कुछ अहम मे थे,
जो वहम में थे उनको अहम से ज्यादा कुछ दिखा नही,
और,जो अहम में थे उनको वहम से ज्यादा कुछ मिला नही।।-
।।श्याम संग प्रीत।।
तेरी एक झलक पाने को,
तरस जाता है दिल मेरा,
बाबा, खुश किस्मत हैं वो लोग,
जो तुझे हर रोज देखते है,
जो हर रोज तेरी चाकरी में रहते है।
मैं तो कभी फाल्गुन में आता हूं,
या कभी ग्यारस में जाता हूं,
लेकिन कभी तु भी मेरे घर आजा,
अपने इस नाचीज़ से भक्तो संग प्रीत सी लगा जा।
तेरी दर्शन की आस लिए मन अशांत सा रहता है,
तेरे नाम को रटता है और तेरा ही आस देखता है,
तेरी चौखट की चाकरी हम भी करना चाहते है,
तुझे हर रोज़ हम भी देखना चाहते है,
ओ सावरे, अब तो समझो की मुझे तेरी ही जरूरत है।
~जय श्री श्याम
~राधे राधे-
#ज़रूरी
अब लिख नही पाता मैं, तो क्या करु,
हर दफा ज़ख्म बताना,
ज़रूरी है क्या।
कल के, देखे हुए सपनो को, आज पूरा करना,
ज़रूरी है क्या।
दुनिया की उम्मीद पर, हर बार सही उतरना,
ज़रूरी है क्या।
खुशियां बाटने की अपनी पूरी कोशिश को लोगों के सोच के पैमाने से मिलाना,
ज़रूरी है क्या।
हमेशा, अच्छे और बुरे या सही और गलत, की लड़ाई लड़ना,
ज़रूरी है क्या।।-