QUOTES ON #KAVYITRI

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3 OCT 2020 AT 21:34

..... सत्यमेव जयते......

"मानव ही सर्व श्रेष्ठ, शुध्दतमः"
केहते थे हमारे पुर्वज ज्ञानी....
अब कहाँ है? 'ऐसा'....
अब तो अशुध्द के साथ भी,
शुध्द का नाम हैं..
अब बेशुध्द किसको कहें?
बस अब शुध्द का नाम ही,,
केवल शुध्द हैं..

वहाँ उसके साथ हो रही हे ना "ई़साफी़"
पत्रकार छपवा रहे हे अखबार पर..
मिडिया आ गई हे सर पर..
पुलिस आ गई हे सडक पर..
लेकिन कोन लड़ रहा उसके न्याय के लिए,
सबके लिए पैसा बोलता हैं..
वहाँ माँ, बाप... रो रहे हे
उसपर हूए अत्याचार के लिए..
अभी लडकी तो बस इंतजार
कर रही हे बस एक "फरिश्ते" के लिए...

वहाँ चल रही थी ना इंसाफी की कहानी,.,
यहाँ चल रही हे घर घर की कहानी..
सब अंधे हो गए बस अपनो के लिए.,
औरों का क्या हे, "बादमे मना लेंगे".
सब लगा रहे हे छुट्टे इल्ज़ाम
लेकिन बराबर न्याय देगा "भगवान".
मगरमछ के आंसू बहाकर कर दिया सबको अपने, लेकिन अपने ही कोनसे काम के..
जो देख ना पाए सत्य का चेहरा,
जो लगा रखे है उन्होंने...,
आंखो पर बढ़ा सा सेहरा...

वहाँ अंबेडकर जी ने लिखी थी बड़ी किताब..
लिखा था उन्होंने सत्य का हिसाब..
लेकिन हमने तो हिसाब ही तोड़ दिया
अब क्या फायदा? जो करना था अब
वो करके बाद

अब सब लेते हे न्याय का नाम
पर करते हे पैसों का काम
गुनेहगार बस हे घुमते यहाँ लाचार हे लढते रहते लेकिन हमेशा..."सत्यमेव जयते"...

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मैं करना चाहती थी प्रेम
और लिखना चाहती थी
प्रेम कविताएं......
मैं जीना चाहती थी जीवन
और रचना चाहती थी
प्रेम.......
मैं श्वास श्वास में भर लेना
चाहती थी कविता....
और जीना चाहती थी
निर्बाध जीवन......
फिर मैं प्रेममय हुई
और उगने लगी कविताएं
मैं श्वास भरने लगी....

पूरी पंक्तियां अनुशीर्षक में

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19 JAN 2021 AT 19:05

अंत में नहीं रहेंगे
कलम, कागज़
और समीक्षक।
बस रहेगा एक कवि
और एक कवयित्री।
इसलिए लिखते रहिए।
ना किसी पढ़ने वाले के लिए,
ना किसी सुनने वाले के लिए।
लिखते रहिए, बस अपने लिए।

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