ਕਲਾ, ਪੜ੍ਹਾਈ, ਪੈਸੇ ਦਾ
ਕਦੇ ਮਾਨ ਨਾਂ ਕਰਿਏ।
ਮਾੜੀ ਨੀਤ ਤੇ ਆਸਾਂ ਰੱਖ ਕੇ
ਕਦੇ ਦਾਨ ਨਾਂ ਕਰਿਏ।
ਘਰ ਬੈਠੇ ਬਜ਼ੁਰਗਾਂ ਤੋਂ, ਜਾਂ
ਉਹਨਾਂ ਦੀਆਂ ਸਿਖਿਆਵਾਂ ਤੋਂ।
ਵੱਖ ਕਰਕੇ ਧੀ - ਪੁੱਤ ਨੂੰ
ਕਦੇ ਜਵਾਨ ਨਾਂ ਕਰਿਏ।।-
हारने में कैसी शर्म?
हार मान कर बैठने में है।
दुबारा कोशिश ना करने में है।
दुबारा हारने से डरने में है।
हालातों से समझौता करने में है।
लेकिन...हारने में कोई शर्म नहीं है।।
हारने में कैसी शर्म!!-
रोज ही तो उतारता हूं
उसके अक्स को
आईने में दिल के
हैं वो खूबसूरत उतनी
एक जमाना लग जाये
सिर्फ आंखों में ही
उतर जाने में जिसके-
अजीब सी उलझन में उलझा देता है
उसका यूँ अचानक से गायब हो जाना
उसे क्या पता कितना मुश्किल होता है
व्यथित दिल को प्यार से समझाना
सबकुछ सही हो उसकी दुनिया में
हर पल खुदा से ये दुआ माँगना
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है बसा उसमें हर कतरा
उसके अपने वो के प्यार का
शायद ये भी इजहार ए अदा है
जो पहन रखा है उसने
गले में लॉकेट उसके नाम का-
दिला दी याद तेरी
एक तेज हवा के झोंके ने
जब आ जाती थीं अक्सर
तेरी जुल्फें चेहरे पर उड़कर
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आयु भर लिखते रहें
हम तुम्हारे संग ।
कलम होवे गर्वान्वित,
हों शब्दो के ऐसे ढंग ।
अलंकार, रस सब नत्मस्तक हो,
ऐसे भर दें हम रंग ।
प्रिय तुम ऐसे दो
हमारा संग ।
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जानता हूं कुछ लम्हे
मायूस कर जाते हैं अचानक आकर
मगर निकल जाते हैं हल
हर परेशानियों के आपस में बातें करकर
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बातचीत से भला
क्या क्या नहीं हो जाता
हर असमंजस मिट जाता है
हर मसला हल है हो जाता-
उसकी आंखों में प्यार बेहिसाब है
चेहरे पर भी मुस्कान लाजवाब है
उसकी खूबसूरती को कैसे बयां करूँ
उसके हर अंदाज में झलकता आफताब है
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