मैं पहले से गरीब था
तूने मेरा चैन भी लूट लिया
मोहोबत के बाजार में
जब आशिक़ी का खूट पिया
सफ़े लिखे थे बगावत के
किस्से में शामिल हैवानियत थी
कड़ी टूटी मेरी नाज़ुक शीख से
सुर्ख रंग मेरा बहने लगा
मैंने पूछा प्यार से
वो प्यार से कहने लगा
इश्क़ सिरफिरा है
कम्बखत है
मासूम है
मदमस्त है
छुपा है कहीं
व्यस्त है
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14 APR 2017 AT 20:50
31 MAR 2018 AT 5:44
के ख्वाईश थी जब भी नींद के लिए आँखे बंद हो,
तेरे ख़्वाबों में खो जाऊं।
पर कम्बख्क्त आज तेरे एक ख्वाब ने,
मेरी नीदें ही छीन लीं ।-
16 AUG 2023 AT 22:51
Kehte hai rooz rooz kahi jao to
Ijjat nahi rehti
Tumhare yaad badi besharam hai
Kambhakhat har rooz ajati hai.....-