आज ,
संगम की रेत पर
जब उस मासूम को चलते देखा
न जाने क्यों
अपने दिल को अचानक धड़कते देखा
यह धड़कन कुछ अजीब सी थी
बेचैनी थी पर तहजीब सी थी
न जाने वह क्यों खुश थी
जबकि वह काफी गरीब सी थी
चांद जैसे चेहरे पर होठों की लाली थी
चहकते चेहरे पर सपनों की बाली थी
पूरा करती भी तो करती कैसे अपने सपने
इस स्वार्थी दुनिया में उसकी जेब जो खाली थी
लिपटी हुई मिट्टी से बेच रही वह रोली थी
साहब,साहब,ले लो ,उसकी यह मीठी बोली थी
सोचा देखू उस नंगे पॉव ने कितना कमाया
जब अंदर झांका तो उसकी खाली झोली थी
कुछ ना होकर सब कुछ उसके पास था
नंगे पांव ही सही पर,अपनेपन का एहसास था
हर रंग में ,उसका अलग ही एक रंग था
शायद इसीलिए उसका चेहरा मेले में सबसे खास था
खास था,खास था......-
सर्द मौसम में ,गरीबों का बुरा हाल है ...
मुबारक हो, यह तो अमीरों का नया साल है..-
अब तो, उस गरीब के अनकहे एहसास भी पिघल गए ...
जबसे नेताजी, उसके हिस्से की रोटी अकेले निगल गए...-
साहब,इंसानियत तो उसी दिन शर्मसार हो जाती है ...
जब एक बेटी, कोख मे ,अपनो की हि, शिकार हो जाती है...-
मुश्किलों में दूर और खुशियों में, बेहद पास होते हैं ...
अब तो जनाब ,जरूरत के हिसाब से ,लोग खास होते हैं..-
Don’t get shocked to see young people with big thinking!
infact update yourself to the new version!!-
अस्पताल की अंधेरी चौखट पर ,आज गजब का इमान देखा..
जब हिंदू को खून देने वालों में , सबसे पहले मुसलमान का नाम देखा..-
Every person who criticized me
Acted as a catapult.
The more they pulled me down
The greater was my leap.-
आज गरीबी भी ,बेबसी और लाचारी का आलम सीख रही थी..
जब छोटी बच्ची, साहब के आगे ,रोटी के लिए चीख रही थी..-
हर रोज ,हर दिन ,खुदा को देखता हूं जगमगाते हुए आकाश में ..
गरीबों के घर भी ,कभी बरकत होगी बस जीता हूं इसी विश्वास में..
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