क्या होने लगा है मुझे,
जो तुम इस कदर याद आ रहे हो,
वक्त बेवक्त बस तुम, बेहिसाब पनपते जा रहे हो।
सांसों में हलचल है,
इस हलचल के पन्नों में वज़ह, तुम नज़र आ रहे हो।
क्या होने लगा है मुझे,
जो तुम इस कदर, ज़रूरत में आ रहे हो।
कैसी यह तड़प है,
कैसा यह जुनून छाया है।
बस तुम मिल जाओ तो लगे,
सारे जग का सुकून पाया है।
P.T.0.
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