QUOTES ON #IAMNISHAAN

#iamnishaan quotes

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29 NOV 2018 AT 15:21

क्या बताएं कि ख़ुद से कितना इश्क़ करते हैं
यूँ समझिए कि तन्हाई में ज़्यादा ख़ुश रहते हैं

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20 DEC 2018 AT 8:45

नसीहतों से कह दो अभी मैं मग़रूर हूँ
हालांकि सच ये है कि बहुत मजबूर हूँ

दिल का शहर, मरहम समझता है हमें
चोट खाये आशिक़ों में, ऐसे मशहूर हूँ

अब तो मेरे घर का पता ही मयखाना है
और दुनिया समझती है मैं नशे में चूर हूँ

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28 NOV 2018 AT 22:51

मेरा दिल बेबस है शहर के अखबार की तरह
वो ताकत-वर है विज्ञापन के बाज़ार की तरह

मेरी किस्मत कि मुझे रद्दी के भाव बिकना है
उसे मुस्कुराते हुए छपना है हर-बार की तरह

गिरते गिरते तू कितना गिर गया है, 'निशान'
इस्तेमाल रोज हो जाता है, औज़ार की तरह

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19 FEB 2019 AT 13:27

घर कहीं गुम हो गया है उसको खोजता फिर रहा हूँ मैं
बेजुबां इन सब तन्हा इमारतों से पूछता फिर रहा हूँ मैं

कभी कच्चे मकानों में पक्के रिश्तों के साथ रहता था
अब उन सब से अलग कहाँ हूँ, सोचता फिर रहा हूँ मैं

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27 NOV 2018 AT 21:32

यह चाँद उदित होकर नभ में
कुछ ताप मिटाता जीवन का
लहरा लहरा यह शाखाएँ
कुछ शोक भुला देती मन का

कल मुर्झानेवाली कलियाँ
हँसकर कहती हैं मगन रहो
बुलबुल तरु की फुनगी पर से
संदेश सुनाती यौवन का

तुम देकर मदिरा के प्याले
मेरा मन बहला देती हो
उस पार मुझे बहलाने का
उपचार न जाने क्या होगा

इस पार, प्रिये मधु है तुम हो
उस पार न जाने क्या होगा

(हरिवंश राय बच्चन की कविता "इस पर, उस पार" से)

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29 NOV 2018 AT 8:40

कॉलेज की किताबें, अब धूल फांक रही है
आंखें उसकी गली उसका घर झांक रही है
मोहल्ले के सब लौंडों से उसका पंगा हो गया
इश्क़ क्या हुआ वो लड़का तो लफंगा हो गया

टॉपर था हमेशा, इस साल फेल हो गया है
मारपीट, लड़ाई-झगड़ा तो खेल हो गया है
मंगल, गुरु और शनि जो मंदिर जाता था
उसे इसी माह दस दिन का जेल हो गया है
सुलझा हुआ वो शख़्स था कैसे बेढंगा हो गया
इश्क़ क्या हुआ वो लड़का तो लफंगा हो गया

मां-बाप की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है
अपने सपनों को तोड़ कर बिखेर रहा है
मोहब्बत में अब तो गधा बना फिरता है
कभी जो ख़ुद इसी जंगल का शेर रहा है
दिल से कितना अमीर था, भिखमंगा हो गया
इश्क़ क्या हुआ वो लड़का तो लफंगा हो गया

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12 APR 2018 AT 15:08

इस राह-ए-वफ़ा पे कब के संभल गए होते
बदलना होता, तो अब तक बदल गए होते

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18 DEC 2018 AT 11:24

तुम्हीं मुल्ज़िम,तुम्हीं मुंसिफ,तुम्हारे ही गवाह,
अब किसे दूँ सफाई...जो दे दे तुम्हारी यादों से रिहाई।

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9 APR 2019 AT 23:05

ज़माना कहता है कई दिनों से चांद नहीं निकला है
हम ने तो कल भी उसे 'पड़ोस की छत पर देखा है

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29 JUN 2018 AT 15:25

चाँद सा रोशन चेहरा उसपे खुले जुल्फों की बेअदब वार हो गई ,
क़ातिल निगाहों से देखा ऐसे , मुझ जैसे शख़्त को भी प्यार हो गई ।

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