हम उस दौर में जी रहे हैं,
जो इतिहास के पन्नों में लिखा जाएगा ।
जब मानव ही मानवता का दुश्मन कहलाएगा ।
क्या खुब होता हमारा शौर्य, हमारा इतिहास,
अगर सब करते अपनी उन्नति, और मदद के लिए रहते एक दुसरे के पास ।
मगर क्या खुब रच रहे हैं हम अपनी कहानी,
जिसमे देश चड़ा रहा है, दुसरे देशो की कुर्बानी।
अब भी समय है, बदल लो इस कहानी का अंत,
सबक लो इतिहास से
और बचा लो सबको इस विनाश से।
वरना अंत मे तुम अपने किये पर पछताओगे ,
और रोते बिलखते माफी मांगते रह जाओगे ।
तब तुम्हारी आत्मग्लानी भी तुम्हे नहीं बचा पाएगी,
तुम देखते रह जाओगे, ये दुनिया कैसे अंत को आजाएगी ।
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