THE RIVER CARRIES IT AWAY
She stands at the river’s edge,
Skirt lifted just above her ankles,
Water lapping at her feet,
Cold,
Restless,
Endless!
The brass pot in her hands feels heavier today,
As if carrying all the words
She never got to say.
She dips it into the current,
Watches ripples spread,
Watches the water take,
take,
take...
Like it took him,
Like it takes every season,
Every promise,
Without ever bringing anything back.-
ना दो तुम मेरे शब्दों को वाहवाही,
मैं तारीफ़े सुनने नहीं आई हूँ!
मैं तो लिखकर पन्नों पर कुछ अल्फाज़ो को,
आज अपना ग़म भुलाने आई हूँ!
कुछ देर के लिए ही सही
शब्दों में उलझ कर,
अपने मन को भटकाने आई हूँ!
दिल में जो दर्द बसे हैं,
उस दर्द को बहलाने आई हूँ!
मालूम नहीं पर खुद को
कुछ तो समझाने आई हूँ!
बाकी है अब भी मुझमें
कुछ ज़िंदा सा,
शायद खुद को ये याद दिलाने आई हूँ!
ना दो तुम मेरे शब्दों को वाहवाही,
मैं तारीफ़े सुनने नहीं आई हूँ।
मैं तो लिखकर पन्नों पर कुछ अल्फाज़ो को,
आज अपना ग़म भुलाने आई हूँ !!-
When the heart is heavy
And the eyes are wet
Everything seems blurry,
Scarcely able to see a ray of hope
Aspirations start sinking
In the flow of distress.
Only the aching heart
Can measure its burden.-
Zindagi me kabhi kuch chaha hi nahi
Jise chaha use paya hi nahi
Jise paya use yu kho diya
Jaise zindagi me kabhi koi aya hi nahi.-
No matter how heavy your body is,
it won’t feel as heavy as your heart.
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Far away from here, in the exultation of nature, with subdued winds and heavy heart, you will see the real world.
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Not all stories have sad or happy ending........ Sometimes, forgive and forget satisfies too
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तू गले से लग और तुझमें समां जाऊं मैं,
इतनी सी तमन्ना है तेरे लिए भी तेरी "मै" बन जाऊं मैं।
बड़ी बेचैन हैं सांसें; लूं या जाने दूं ,
तेरा ही गम है, तन्हा तो हूं! कहीं मर ना जाऊं मैं।
तसव्वुर है तुम हो कभी उस कायदे से हमारे ,
जिस तरह तुझे देख बस खुद को भी भूल जाऊं मैं।
मोहब्बत बिना बातों के भी बरकरार है ,
कभी दिल होता है, तू भी कहे ये! और बदल जाऊं मैं।
दर्द कहां लाजिम है बयान करना यूं ही,
काश तू छुप के पढ़े मुझे!और तेरी आंखों का कतरा हो जाऊं मैं।
शायरी का शायद श नहीं जानते थे हम,
कमबख्त ये मोहब्बत; दिल होता है इस बस्ती में शुमार हो जाऊं मैं।
कायदा बस इतना है के बेतहाशा दूर हैं हम,
फिर भी दिल का दिल है तुझे ज़र्रे ज़र्रे में खोज फना हो जाऊं मैं।
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हमेशा मुस्कुराते रहते हो,
कभी तो मायूस हो जाया करो।
कंधे पर बोझ लिये चलते हो...
सूनी राहों पे हँसते-मुस्कराते हो।
सब ठीक है ना??
या दिल के जख्मों को छुपाते हो?
आँखों में सपने चमकते हैं,
पर नींदें कब की रूठी हैं।
कभी खुद से सवाल कर के देखो,
कि ज़िन्दगी कहाँ-कहाँ से टूटी है।
दिल की दीवारें सख़्त ना बनाओ इतनी,
कभी किसी के आगे भी टूट जाया करो।
कभी आईने से भी आंख मिलाया करो,
अपने अंदर के सच को आज़माया करो।
She_writes🍂
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