चैन कहाँ सुकूँ कहाँ,
अब न कोई रहा जहाँ,
भुला चुका हूँ इश्क़ में सब,
अरे! कोई तो बताओ,
मेरा मकान है कहाँ,
लम्हे गुज़रे दिन भी गुज़रे,
और कई मौसम भी गुज़रे,
अब क्या कहें...
हम तो अभी तक हैं वहाँ,
इक याद सी आयी और खो से गये,
तुमने भुला दिया ज़माने हो गये,
पर तेरा निशां!
अभी तक... है यहाँ।
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ऐसे ख्वाब नही देखते
जो कभी पूरे नही हो सकते
हम चाहे कितने भी क्यों न उनके हो जाये
लेकिन वो कभी मेरे नही हो सकते ❤
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ना जानें क्यों तन्हाई
बार बार मेरे पास आती हैं
आंखे भीग जाती हैं।
और दिल से उसके
वापस लौट आने की आवाज़ आती हैं।
जानें कितनी दफा समझा चुका हूं मै
अपने टूटे हुए दिल को
लेकिन फिर भी ये गलती
मुझे बार बार याद आती हैं।-
अपनी सारी ज़िंदगी कुर्बान हैं
अपने सपने पर
सब पराए हो जातें हैं
जब बीतती हैं अपने पर-
चाहत तेरी रूह की थी तो ईश्क हो गया
जिस्म की होती तो ईश्क का नाम
यूँ सरेआम बदनाम न होने देते...❤
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दूरी चाहे कितनी भी हो लेकिन
नज़दीक आने वाले नज़दीक आ ही जाते हैं
और नजदीकियां चाहे कितनी भी हो
लेकिन जिनको दूरी कायम रखना होता हैं,
वो तमाम कोशिशों के बावजूद भी दूर चले ही जाते हैं-
पंछी जब तक पिंजड़े में रहता हैं
तब तक दाना मांगता हैं।
जिस दिन पिंजड़े से आजाद होता हैं
पेड़ की डाल डाल पर बैठकर
हवा का फ़साना मांगता हैं।-
बीतते वक्त के साथ सही गलत की
परख करना सीख लीजिये
क्योकि वो अपने ही होते हैं
जो चोट देने के बाद ये पूछते हैं
कि कहि लगी तो नही।-
आज हवाएं भी कुछ कह रही हैं मुझसे
ये कैसी जिंदगानी हैं
मेरे चेहरे पर जो कभी कभी एक खिलखिलाती हुई मुस्कान आ जाती हैं ना
वो तेरे साथ बितायी हुई यादों की निशानी हैं। ❤-
वो कहती थी कि
मैं बहुत बोलता हूँ
लेकिन उसके जाने के बाद
ख़ामोश रहने की आदत सी
हो गयी हैं मुझे ❤
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