के मंज़िल मिलेंगी या नहीं
डर तो इस बात का है , कहीं
मैं मंज़िल के चक्कर में अपने
सत् सत्य वैचारिक संस्कारों को ना
भूल जाऊं मैं अपने अस्तित्व को ना छोड़ दूं।
-
मोहब्बत का तो पता नहीं
पर हां जहां प्रेम होता है..
वहां आनंद आनंद में ओर
ईश्वर का ज़रूर निवास होता है।-
हे परमात्मा...
ख़ुश कर दें हे परमात्मा
हां आज यों मेरी आत्मा
तने दिया जन्म...
तने जन्म दिया हर के द्वार में...
हां तने जन्म दिया अपने द्वार में..
फ़िर क्यों दुःखी है यों मेरी आत्मा
हे परमात्मा....
हां रेे परमात्मा... ख़ुश कर दे!..
सत् चित् आनंद बणा दें... हे परमात्मा...🙏.-
आंगन में खेलती" खिलती" श्री और मती का आदि आनंदा आशीर्वाद है आदि पराशक्ति स्वरुप की बाहार है अज्ञानियों को खलती" और लगती अभिशाप है।
-
हां मैं आत्मा बन पृथ्वी लोक पर जब भी आया!
हर ने बिना दिव्यदृष्टि हर हरि को नहीं पहचाना।
-
जो उलझना और उलझाना चाहते हों ये सही नहीं
मुझे वो दिशा चाहिए जो मुझे सत् चित् आनंद बनाएं
न कि किसी पल दो पल के आनंद के लिए ललचवाएं
सदा सब सद् सात्विक चाहिए न कि कोई उलझन चाहिए
मैं सदा झूठ स्वार्थ और लालच से दूर निस्वार्थ हों
देव श्रेष्ठ केशवानंद बनना चाहता हूं।-
लेखन वो एक पंक्ति में जो वास्तविक सत्य
को अर्थ सहित आनंद मैं परिभाषित कर दें-
Humanity is from truth and
Truth is right ability
Otherwise it's all a hoax.-
नित्य हो अनुष्ठान जंहा
तर्पण होता पितरों का
स्नान मात्र से मोक्ष मिले
जपों हरि-हरि...
या हर-हर...
#हरिद्वार #-