चोर कौन ?
बहुत सुंदर ज्ञानवर्धक कथा,,,,
कुछ दिनों से महाराजा श्रेणिक के बगीचे से रोज ही आम चोरी हो जा रहे थे! राजा श्रेणिक ने वह वृक्ष महारानी चेलना के लिए विशेषत: लगवाए थे जिनमे साल में हर समय आम पैदा होते थे ! कड़ी नगर व्यवस्था व बगीचे की पहरेदारी होते हुए अपने आप में यह आश्चर्यजनक था ! जब कुछ दिनों बाद भी चोरी नहीं रुकी तो राजा ने यह घटना अपने मंत्री व पुत्र अभयकुमार को बताई और यथाशीघ्र चोर का पता लगाने का आदेश दिया !
अभयकुमार रात्रि को भेष बदलकर निकला –सोचा उद्यान के पास वाली बस्ती में जाकर देखता हूँ शायद कुछ सुराग मिल जाए चोर का ! वहाँ एक चोराहे पर कुछ लोग इकठ्ठे होकर आपस में व्यंग्य व कथा कहानी सुनकर एक दुसरे का मनोरंजन कर रहे थे ! अभयकुमार भी उन के बीच में जाकर बैठ गया ! उन द्वारा पूछने पर उसने कहा –मै एक परदेसी हूँ ,आप की आज्ञा हो तो आप के साथ ही रात्रि विश्राम करके सुबह रवाना हो जाऊँगा !
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19 JUN 2020 AT 21:20
2 MAY 2020 AT 21:20
अंहकार स्वर्वज्ञता का भ्रम है।
हर स्थिति के अनुसार किया गया हर कार्य कर्म है।
हर परिस्थिति के अनुकूल स्थिति ही धर्म है।-
10 JUN 2020 AT 21:15
दु:ख और सुख क्या है -
दुःख, अर्थात् मन की इच्छा पूरी ना होना,
सुख अर्थात् मन की इच्छा पूरी होना..-
15 JUL 2019 AT 14:47
29 MAY 2022 AT 10:48
चोट देकर दर्द ए दिल का हाल पूछते है
सीने में खंजर कर जख्म ए हजार करते है
खुद गुनाह कर हमे गुनहगार कहते है
तुझे तेरी खुशी मुबारक हो दोस्त
ये उदासी भरी शाम हम अपने नाम करते है
वो बातो की लंबी राते और यादें हम अपने नाम करते है-