मेरे दिल मे तेरी यादों का गहरा सा समन्दर है,,
वही उपवन, वही ऋतुएं, वही दिलकश नवम्बर है!!
वही मौसम वही सर्दी वही कोहरे का मंजर है,,
वही सूरज, गुलाबी धूप, वही नीला सा अम्बर है!!
@शिखा-
24 NOV 2020 AT 23:04
18 NOV 2021 AT 0:32
हल्की गुलाबी ठंड ने जैसे ही कदम
रखा नवम्बर की जमीं पे
उभर आई फिर कुछ कहानियां बीते
मौसम की
ठंडी सी सुबह की ओस की हल्की
सतरंगी बूंदों में
नज़र आई फिर कुछ निशानियां बीते
मौसम की
सूरज की सुनहरी किरने सुबह के कोहरे
को चीरते हुए जब बिखर गयी धरती पे
याद आई फिर कुछ शैतानियां बीते
मौसम की
-शिखा-
7 FEB 2020 AT 15:34
अब क्या किसी से गुलाब
लेने का सोचना...
जब गुलाब देने वाला ही
दूसरों के लिए पंखुडिया तोड़ने लगे....-