Rakesh Singh   (अधूरे khwab)
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इश्क़ ही तो दरिया था
डूबने के बाद आँसू
और बिखरे हुए अरमा मिले
Joined 30 August 2019


इश्क़ ही तो दरिया था
डूबने के बाद आँसू
और बिखरे हुए अरमा मिले
Joined 30 August 2019
29 DEC 2024 AT 11:31

सुकूँ कहु या सांस.. 🥹
बस तुम्ही हो जीने की आस 🥲

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28 DEC 2024 AT 13:11

पाने की तलब 🥹
और खोने का डर
ना जाने कैसा है
इस जीवन का

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14 DEC 2021 AT 19:01

ऐसे पास आते हैं
थोड़ा एहसास जताते हैं
जब थोड़ा कुछ होता है
यूँ ही दूर जा के सताते हैं...

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3 DEC 2021 AT 16:29

बहती नदी
बहता समय
और ऐसे ही बह गए लोग 😌😌😌

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18 NOV 2021 AT 18:02

अब क्या ही उनका जिक्र करें
जिन्हें वर्षों से उनकी फ़िक्र नहीं
ये तो बहती हुई जिंदगी हैं
जो हसीन पल गुजर गए
हम उनमे ही खोते चले गए
ना आज का चैन ना कल का पता
ना जाने जीवन से क्या हैं वास्ता
जिंदगी लगती हैं अधूरी
काश हों गयी रहती वो कशमकस पूरी
बिन कसमकस की जिंदगी की कहानी कहाँ
और अपनों के बिन जिंदगी में रवानी कहाँ

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10 NOV 2021 AT 9:59

जिनसे जिंदगी हैं
और उस जिंदगी का
ना होंना इस जिंदगी में तो
फिर क्या ही ये जिंदगी 😌

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26 OCT 2021 AT 10:32

हम अपनों को तलाशते गए
और वही अपने हमें लाश बना गए

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23 OCT 2021 AT 8:32

माँ के ममता जैसी छाओं
नहीं हैं ऐसा कोई गाँव
जिसने जन्म दिया
हाथ पकड़ कर चलना सिखाया
उन्होंने ने ही माँ का दर्जा पाया
कितने भी मुश्किल होते हुए भी
माँ हमें साहस देती
ऐसी होती हैं माँ की शक्ति
जब पैसा ना हों पास
माँ से होती हैं इक आस
क्या पता...
कोई परेशानी का ना होगा वास
कितनी भी मंजिले पा ले
जब आती हैं माँ के खाने की याद
तब करते हैं हम भगवान से फरियाद
की काश हम घर चले जाये
और कुछ पल माँ के साथ बिताये
हे मनुष्य
कभी ना भूलो अपनों को
जिसके जीवन से हम हैं
उसके बुढ़ापे के हमकदम हैं
ऐसा होगा जब विचार
कभी नहीं आएगा दुखों का द्वा

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20 OCT 2021 AT 14:16

किसी से एहसास...
और उससे आस ...
कर देती हैं जिंदगी उदास

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19 OCT 2021 AT 0:04

यादों ही यादो में..
इक फरियाद हैं
काश उसे भी याद हों हम...

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