उसकी आंखों में अपने ख्वाब देख आया हूं। लबों पे उसके प्यार बे हिसाब देख आया हूं। खुद्दारी में मोहब्बत मांगी नहीं मैंने। बस उसकी खिड़की में गुलाब फेंक आया हूं।
पंखुरी गुलाब की सी है...छूने से टूट जाती है... वो दिलरुबा है मेरी...मेरा खूब दिल जलाती है... और करता हूँ उसको...मनाने की...जब भी कोशिशें... कमबख्त😥... और रूठ जाती है।।😯