कि तन्हाइयों के ढेरों में,
सुकून है जो।
सुकून को खबर नहीं,
चलो दिल में ये तड़प सही।
कभी याद आऊ तो बुलावा भेजना,
किसी और की नहीं....
किसी और की नहीं,
अपनी आवाज में भेजना।
जिंदगी के चार लम्हे,
सुकून से जीने देना, वो लम्हे।
यह तो कहने की बात है,
कि कहीं आसमां,कहीं जमीन नहीं मिलती।
सीने से लग कर देखो...
सीने से लगा कर देखो।
शायद वो और कहीं नहीं मिलती।
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