चलो मिले किसी रोज...
फिजाओं में,पहाड़ों में,
कंधराओं में, गुफाओं में,
मोहब्बत बरसाना बेहिसाब फिर,
सनसनाती सी हवाओं में...
दर्रो से जर्रो तक,
धरातल की गहराइयों तक,
सर्द बर्फीले मौसम में...
चलो बने रजाई एक दूजे के,
जख्मो से मरहम तक...
चलो बिताए कुछ पल संग ..
खुद को मतलबी दुनिया से
मेहरूम कर !!
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