शागिर्द बना दे मुझे उस मोहब्बत का,
जहां मेरी आदतें टिकी है,
हिदायते जो मुझे तेरी सोहब्बत से ही मिली है,
तेरे बालों की वो लट, जो तेरी गर्दन से होकर अभी गुज़री है,
अंदाज़ पर तेरे चल कर ही रुखसत हुई है,
सुरमई आंखे जो काले बादलों से बनी है,
नज़रे ये मेरी तेरे बंगले तक ही टिकी है।।
- पूजा गौतम
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