जिसके आँचल के छाओ में
नींद सुकून की आए।
जिसके गोद में सर रखते ही
सारी पीड़ा दूर हो जाए।
वो जागती रहे तुझे सुकून से सोता देख,
नींदें उसकी भी पूरी हो जाए।
इलज़ाम तुझपे लगे,
होंठ उसके कप्कपाये।
दर्द तुझे हो,
लब उसके चिल्लाये ।
खुद के जख्म भूल,
मरहम तेरी बन जाए।
आंखे नम जो तेरी हुई,
उसके आँखों से आँशु छलक जाए।
जब भी वार तुझपे हो,
जिसे तू अपनी ढाल बना पाये,
वो और कोई नहीं "माँ" कहलाये।
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