सुनो ना साहिब तुम क्या जानो ये वो दौर है जहां..
अपनी अपनी जरूरतों के हिसाब से हमें इस्तेमाल किया जाता है..!!-
जब तक खुद ना गुजरे उस दौर से एक कहावत ही लगती है , गर गुजर जाये उस दौर से दुसरो की कहावत भी अपनी सी लगती है !!
इसलिए अपनी बारी का इन्तजार ना करे जो दुसरो पर गुजरती है उसे एक बार खुद पर लेकर देखे !!
हर कोई यहां ड्रामा नहीं करता है!
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Koi Bhi Perfect Nhi Hota,
Lagaao Ho To Hum
Khoobiyan Talaash Karte Hain Aur Bezaari Ho To Khaamiyan..!!-
Kon rakhega khayal hamara is matlabi duniya me,
Haalat aise hain ki logon ko apne maa-baap bhi yaad nahi.....!!!!!-
मुहोब्बत खूब करिए बेइंतिहा करिए।।।
अपनो के खून को कोई दोष नही देता
तो परायो को भी प्यार वेसे ही करिए।।।-
रहने दे इन अंधरों में मुझे ग़ालिब
कम्बख्त...
रौशनी में अपनों के चेहरे सामने आ जाते है !-
Us insan se kiya umeed rakhen hum
Jo khuda ko bhool bethy hain
Hamain kiya khaak yaad karengy
Jo baghair zaroorat k khuda ko bhi yaad krty nahi-
अपहरण के बाद भी सीता महफूज़ थी,
किस कदर शराफत थी
उस दौर के रावण में भी !!-
कुछ ऐसे हो गए है इस दौर के रिश्ते
आवाज़ अगर तुम ना दो तो बोलते वो भी नहीं।-
Kon rakhega yaad hume is daur e khudgarzi me , Halaat aise hain ki logon ko khuda yaad nahi "
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