कल तक माँ की बिटिया थी
आज माँ का किरदार निभाती है।
नखरे खूब दिखाती थी
इशारे पर माँ को नचाती थी।
कुछ भी मन मुताबिक न हो
तो, फट से तुनक वो जाती थी।
सबको उँगलियों पर नचाकर, हुकुम वो चलाती थी।
कल तक ...
अब नखरे वो उठाती है
इशारों पर भी नाचती है।
सबके मन मुताबिक सब हो,
हरदम ये जुगत भिड़ाती है।
सबके प्यार में खोकर, सिर आँखों पर हुकुम उठाती है।
कल तक ...-
Age :21
The age which magically turns a strict mother to a bestfriend♥️
-
बेटी
बेटी घर की लक्ष्मी होती है लेकिन एक दिन उसे बिदा
कर दिया जाता है ये केहकर की बो पराई अमानत है
बेटी पैदा होते ही केहेते है घर में लक्ष्मी आयी बहत लाड़ प्यार से पालते है लेकिन जब बड़ी होती है दुनिया भर के बाते और जिम्मेदारियों थोप दिया जाता है हमेशा ये मत करो बो मत करो कहाजाता है एक बेटी सबको समझती है लेकिन उसे कोई नहीं समझ ता है-
मेरे आंसू बहना चाहें, तुमसे ये कुछ कहना चाहे,
मां की ममता बोल न पाए, बस वो अपने आंसू बहाए,
आज वो सुसकी बिटिया खातिर, मन ही मन कुछ कहती जाती,
मेरी बिटिया मुझे है प्यारी, चाहे लगे पिता को भारी,
बिटिया मैं कुछ करना चाहूं, तेरे लिए कुछ कर न पाऊं,
मेरा कुछ अधिकार नहीं है, नारी का जीवन तुक्ष बना है,
पुरुषों के पैरों में दबा है, इन पैरों को तोड़ गिराती,
काश मैं सबला बन जाती, तेरे लिए वो सब कर पाती,
मैं तुझको ऐसा बनाऊंगी, पुरुषों से लड़ना सिखाऊंगी,
तेरे सब अधिकार बताऊंगी, मैं तुझको सबला बनाऊंगी,
कुछ कारण वस न रह पाऊं, इस दुनिया से गुजर जो जाऊं,
किस्मत तेरे साथ रहेगी, मेरी कविता तुझे कहेगी,
तुम न अपने आंसू बहाना, पुरुषों से लड़ के दिखलाना,
भगवान तेरे साथ रहेगा, तेरा अधिकार तुझे मिलेगा।
-Rekha gupta-