charuja gupta  
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Joined 7 November 2019


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Joined 7 November 2019
26 JUN AT 23:04

सोना किसे है,
मैं तो‌ पहाड़ चढ़ना चाहती हूं,
डूबती हुई कस्ती मे,
उम्मीद की किरण खोजना चाहती हूं,
तिनका चावल का हो,
या हो टुकड़ा लकड़ी का,
मिल जाए एक बार तो,
बस अपनी नइयां पार लगाना चाहती हूं,
रुक कर नहीं,
लहरों से लड़ कर आगे बढ़ना चाहती हूं,
डरने के बाद भी,
कोशिश करके डर को जीतना चाहती हूं,
अगर डूब गई बीच मझधार में कहीं,
तो बिना शिकवे के मरना चाहती हूं,
मै बस अपनी जिंदगी,
अपने शर्तो पर जीना चाहती हूं,
सोना किसे है ,
मैं तो पहाड़ चढ़ना चाहती हूं ।

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26 JUN AT 20:17


मैं घर से निकली थी,
वो नदी के किनारे पर बैठा था,
रोका मुझे, एक एहसास ने,
जब उसने पहली बार मुझे देखा था,
उडती हुई जुल्फें और मेरी कातिलाना मुस्कान,
उसने बोला,
इसी अदा पर तो तुम्हारी,
मैं अपना दिल हार बैठा था ।

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9 APR AT 18:14

उसके देखने से ठहर सी गई थी जिंदगी,
परेशानियों में उलझने लगे थे कि,
उसने पलट कर हमें फिर से मुस्कुरा कर देख लिया ।

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19 APR 2022 AT 21:14

चांद न था आज आसमां में,
मैंने चमकते हुए सितारों को खोज लिया,
परेशानियों के होते हुए जिंदगी में,
मैंने खुशियों के बहानों को खोज लिया,
गुम हो गई थी एक अनजानी सी राह में,
तब मुझे कुछ अनजानों ने खोज लिया,
जब खिलाफ खड़ी थी पूरी दुनिया मेरे,
तब अजनबियों में मैंने सच्चे यारों को खोज लिया,
चांद न था आज आसमां में,
मैंने चमकते हुए सितारों को खोज लिया।— % &

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15 APR 2022 AT 0:19

याद आ रही थी तेरी, बात करने का मन किया,
लेकिन वक्त देखकर उस मन ने मेरा साथ न दिया।— % &

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14 APR 2022 AT 14:57

वो हमारी पहली मुलाकात थी,
तुम अपने और मैं अपने दोस्तों के साथ थी,
देखा था बस एक नजर तुमको,
और फिर
एक बार बात हो जाए यही मन में आस थी,
यहीं से हमारी कहानी की शुरुआत थी।

जब पहली बार तुम मुझसे बात किए,
मैं चुपचाप बैठी थी अपना मुंह सीए,
उसके बाद तो तुमसे कितनी बात हुई,
बात लफ्ज़ों में बस नहीं, इशारो के साथ हुई,
बस यही से हमारी कहानी की शुरुआत हुई।

हर आदतों के साथ मैं तुम्हारे पास थी,
तुम्हारी हर चीज में कोई तो खास बात थी,
पता है-
प्यार बहुत करते हो मुझसे,
इसलिए तो
वह मुलाकात हमारे लिए सबसे खास थी,
जहां से हमारी कहानी की शुरुआत थी।— % &

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29 MAR 2022 AT 1:40

उसको किसी और से बातें करते देख जलन में बौखलाती हूं,
उसका कभी उतरा हुआ चेहरा देख उस के पास बैठ जाती हूं,
मन की बात कहते कहते बीच में ही रुक जाती हूं,
और सोचती हूं
अगर कर दी प्यार का इजहार तो दोस्त न खो दूं,
इसलिए
प्यार को छिपाकर, दोस्त बन के उसका साथ निभाती हूं,
और फिर छुप छुप कर उसे देख मै मुस्कुराती हूं,
हां
अच्छा लगता है जब वो साथ होता हैं,
सुख में बस नहीं, वो तो दुख में भी मेरे पास होता हैं,
मुस्कुरा कर सुनता रहता हैं मेरी बेतुकी बक बक
शायद वो भी मेरी तरह किसी उम्मीद के साथ जीता हैं।— % &

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25 MAR 2022 AT 9:50

हालातों ने मुस्कान को चेहरे पर ही कहीं छिपा दिया है,
वरना हम जहां होते थे महफ़िल वहीं जम जाती थी।— % &

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21 MAR 2022 AT 10:37

क्या हुआ जो तेरा दीदार नहीं होता,
तेरी तस्वीर से हम रोज़ रुबरु होते हैं।— % &

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19 MAR 2022 AT 20:25

हम रंगों से बचकर सबसे छुपते रह गए
इस चांदनी रात में हम बहते रह गए
सब मना रहे थे होली की खुशियां
और हम इस खूबसूरत से चांद को देखते रह गए।— % &

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