He was mysterious like the night,
She had a jubilant stature similar to the day light.
He helped her through the fight,
She made him learn to fix problems
Without knocking senses or life.-
Aj fir ye kalam uthi hai dosto...
Likhne ko chali hai Gurur~E~Ishaq dosto...
Magar ye Nasamajh Dil Bewafayi byaa krne ki Izazat nhi deta...-
बेशक अब मोहब्बत ना रही तुझसे,
पर ये दिल आज भी तेरे नाम से धड़कता है!-
First Meeting,
"...So, tell me something about your nature?" She asked.
"Cute & Innocent enough to be Friendzoned." I answered.-
परेशां, हैरान बड़े तिलमिलाये से लगते हो,
आये यहाँ क्यूँ मुसाफ़िर अंजान से लगते हो!
कतार में नहीं हो अव्वल ये जानते हो क्या?
मुझे तुम यहाँ थोड़ा देर से आये लगते हो!
हूज़डे में बितायी इक हिज़्र की उम्र है तुमने,
वस्ल~ए~महल का ख्वाब सजाये लगते हो!
वो माशूक़ बन चला गया किसी और के साथ,
तुम क्या उसके बच्चों के मामूजान लगते हो!
नशे में है दुनिया सारी या कोई और है खुमारी ,
मुझे मेरी जान तुम किसी के इश्क़ में लगते हो!
आँखों के दरमियान दफ़्न है दर्द कोई गहरा बहुत,
आशिक़ नहीं, मुझे तुम सताए से मजनू लगते हो!-
ज़िन्दगी के बहुत दर्द सहे हैं उसने..
यूँ ही नहीं लोग अपनी नज़्म में "ग़ालिब" करते.-
जवानी बेची थी मैंने,
चंद पैसों की खातिर,
मुझ सा गुनहगार कोई दूजा ना होगा।
तवायफ और मुझमें फर्क ही क्या था,
उसने लिबास उतारे हैं,
कसर मैंने भी कहा छोड़ी थी।
अब बस ये गुनाह हमसे और ना होगा,
सोच कर हमने अपना कारोबार डाला था,
गौर से देखा साहब, तो नये गुनहगारों का हुजूम पाला था।-
अकेला रहा हूं, आगे भी रह लूंगा।
तेरी वफ़ा ना सही , यादों के साथ जी लूंगा।-
शेर, नज़्म ,गज़ल सब लिख कर फाड़ दी मैंने।
फिर पन्ने पे तेरा नाम उकेरा तो शायरी मुकम्मल सी हो गई।-
चाहत नहीं अब कि.....और चाहूँ मैं तुझे,
शायद, अब चाह की भी चाहत नहीं मुझे.-