प्रेम तो पत्र में सिमटता कहाँ ये तो असीमित एहसास है यहाँ पाने का नहीं चाहतों से परिपूर्ण आभास है कटा ये पेड़ किसी का घर बना होगा,या कहीं चूल्हा जला होगा बेअसर होगा अब पतझड़ और अमावस भी , इस एहसास में जड़ से जुड़ा, मज़बूत खड़ा अधेड़ सा पेड़ मुस्कुरा रहा है, नई कोंपलों को अपने किस्से ही जैसे सुना रहा है ।।
पंछी भी कहे के ए इंसान तू अपनी फिक्र कर... के अब वृक्ष बचे ही कहाँ हैं । हमारा घर उजाड़ कर... अब तू शान से रहता कहाँ है ? हम तो बिजली की तारों पे रहने वालों में से हो गये हैं पर तू बता के अब तू भी ताज़ी सासें लेता कहाँ है... ??
"Hold me one last time , May be we will never meet again , I know we've never been away, But now there will be no more me, To take you in my arms , To feed you Food, to make you warm. Hold me closer ". The neem tree cried to the crow.
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