QUOTES ON #CORRUPTPOLITICIANS

#corruptpoliticians quotes

Trending | Latest
23 APR 2020 AT 19:57

क़लम जब तक चलेगी ये मैं हर हिसाब लिखूंगा ..
तिरे दिए सारे दर्द -ओ- ग़म की किताब लिखूंगा ..

जिस तरह से तूने मजलूमों का क़त्ल करवाया था ..
मैं तेरे नाम के आगे ज़ालिम का खिताब लिखूंगा ..

मुझे याद है अब भी तबरेज़ की मौत की घटना ..
भीड़ के हाथों मारे गये साधुओं की वारदात लिखूंगा ..

तेरा रंगों से पहचान, कपड़ों से धर्म बताना लिखूंगा ..
कैसे फैलाई है गुलिस्ताँ में बदबू वो बात लिखूंगा ..

तुम सियाही से झूठ लिखना मैं खून से सच लिखूंगा ..
मैं पुलवामा का हमला और हाँ मैं हर बात लिखूंगा ..

मुल्क को दो हिस्सों में बांट देने की तेरी साजिशें ..
मैं तेरी नाकाम कोशिशों की इक किताब लिखूंगा ..

करेगी ज़ुल्म जो सरकार हम पर कुर्सी के खातिर ..
कलम की लाज के खातिर उसके खिलाफ लिखूंगा ..

-


24 DEC 2021 AT 10:40

जो लोग राजनीति में शामिल हो जाते हैं।
हजारों की तनख्वाह में करोड़ों के मालिक हो जाते हैं।।

इस राजनीति को भला कैसे लोकनीति कहूं।
ये धंधे तो आज-कल परिवारिक हो जाते हैं।।

पेशे से गुंडे है ,सर हैं जिनके सैकड़ों मुकद्दमे।
ऐसे लोग भी नेता बन के नैतिक हों जाते हैं।।

बने हैं सिर्फ गरीबों के लिए कानून और कटघरे।
वरना पढ़ने को घोटाले अखबार में दैनिक हो जाते हैं।।

-


28 OCT 2020 AT 15:13

-


24 AUG 2020 AT 19:21

यही तो हमारे देश की विडंबना है साहब ।
यहां पेट चलाने के लिए character और
देश चलाने के लिए criminal होना जरूरी होता है ।।

-


8 JUN 2020 AT 22:58

सूरज अपने आग से जल जाए न कहीं,
धरती समुन्द्र में डूब न जाए कहीं

हे, मानवता के दुश्मन,
अब तो हिन्दू मुस्लिम करवाना बन्द कर दे,

काप रही ये,धरती अब तो,
भाइयों को तो तोड़ना बन्द कर दे,

बड़े,धर्म कर्म की बात करते हो,
ओर, मानवता को बर्बाद करते हो,

हिसाब होगा,हिसाब होगा।।

-


23 SEP 2021 AT 17:34

किस्से वहीं हैं
बस किरदार बदल गऐ हैं ।।
लोगों के हालात वहीं हैं
बस सरकार बदल गऐ हैं ।।

-


10 JUN 2020 AT 0:01

The mediocre operative capability of one sector is a result of decades of negligence to that sector for personal financial gains of the authority

-


20 AUG 2021 AT 22:49

विभिन्न कुर्सीयाँ
------------------
दरबान कि कुर्सी,
  जिस पर बैठना दरबान के नसीब में भी नहीं हैं,
नाई कि कुर्सी,
  जिस पर नाई कि हुकूमत चलती है,
शिक्षक कि कुर्सी,
  जो अनमोल है पर दुर्भाग्यवश टूट जाती है,
मैनेजर कि कुर्सी,
  जिसका अस्तित्व सिर्फ़ चाटुकारिता के लिए है,
मंडप कि कुर्सी,
  दो परिवार के मिलन कि गवाह है,
इन सबसे ऊपर,
नेताओं कि कुर्सी,
  जो झूठ का अभिप्राय बन गयी है,
  झूठ को सच और सच को झूठ बनाती है,
  अपनों का खून तक करवा देती है,
  रिश्ते, इंसानियत सब इनके पायों के नीचे
  कुचले जा चुके हैं,
  इसका भी एक भयंकर नशा है,
  इसको पाते ही, पैसा, ताक़त, घमंड
  भर भर के आ जाता है,
  कुर्सी कि लड़ाई में प्रायः
  गरीब ही मारा जाता है ।

-


30 JUN 2020 AT 9:43

तुमने जो फ़िज़ाओं आग लगाई हैं
सारे मुल्क में उसकी आंच आई हैं

-


4 FEB 2021 AT 8:21

बेच चले देश को, झूठी फ़क़ीरी का चौला पहने,
अब मेरे देश की मिट्टी, मुझसे हिसाब मांगती है !

-