Chudiyon ki gan-ganahat jab aayi mere kanno me
Ke inne sunke firse kho gaya hoon teri yaadon me-
ये सुबह भी अब कमाल हो गयी
तेरी चुड़ियाँ अलार्म, तुम चाय हो गयी,
आँखें खुली ,और हमने देखा चारो तरफ
बेरंग दिवारे आज आफताब हो गयी हैं।,....-
Sabko lagta hai khann khann kr chudi meri khanakti hai,
Pr sunn sajna...ye to bas tujhe yaad krti hai..!!-
तुझसे बिछड़ी तो जाने क्या क्या छूटा
वो महावर वाले पैर वो टूटी चूड़ियां
पुरानी तस्वीरों वाली वो किताबें
जिनमें तेरी फोटो छुपा रखी थी कभी
रूधी सी आवाजें उनमें तुझे बुलाना
अब सब ख़ामोश सा हो गया है
क्योंकि अब तू जो नही है यहां
अब किसी कोने चुपचाप सी रहती हूं
तेरे हिस्से के सवाल खुद से करती हूं
फिर उनके जवाब खुद ही दे लेती हूं
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वैसे तो चुड़िया हर एक रंग की होती हैं,
सावन का महीना आते ही जैसे
पूरा इश्क़ -ए-बाजार हरे रंग की
चुड़िया सजा गयी होती हैं,क्योकि
हरे रंग की चुड़ियों की कुछ अलग ही
बात है।,.....-
Bahut khubsurat hai kaliya unki
Chudiya kya paheni sara shar diwana ho gaya-
Bus yun hi isharon mein
kahti hai meri chudiyan ....
Hanthon se lagi hai ye
banker beriyan ........-
कभी घड़ी ,कभी चूड़ी,कभी धागे पसंद करती है
वो अपनी कोरी कलाई कहाँ पसंद करती है
पलको के नीचे गहरा काजल पसंद करती है
अपनी सूनी आँखे कहाँ पसंद करती है
वो बाली नही झाले पसंद करती है
अपनी घनी ज़ुल्फों के करीब उजाले पसंद करती है
वो झाँझर की झंकार पसन्द करती है
वो मुझे पायल की खनक से बुलाना पसंद करती है।-