चाँदनी चेहरे पर पहरा भारी
उन पर भी आँखों की सूरमा काली
रसीले लब देखू या सुन्दर बाली
तेरी सूरत ही लागे अब सबसे प्यारी
... PikU...-
हम डूब गए होते, तुम्हारी आँखों में
अगर तुम्हारी जुल्फों का सहारा ना होता ।
बह गए होते, लबों की प्यारी बोली में
अगर तुम्हारी चाहत का किनारा ना होता ।
नहीं बसता किसी और की सुरत इन आँखों में
काश हमने तुम्हें इतने प्यार से देखा ना होता ।
जुड़ जाते साथ, हम दोनों प्रेम के बंधन में
तो इस क़दर बिछड़ने का मलाल ना होता ।
मर जाते हम, तड़पकर तुम्हारें ख्यालों में
अगर ख्वाबों में हमसे तुम्हारा मिलना ना होता ।
... PikU...-
छोटी सी उम्र में बड़ा तजुर्बा मिल गया
रोता हुआ चेहरा मेरा फिर से खिल गया
अगर वो रूठ जाए तो मनाना नहीं पड़ता
नालायक कामचोर कभी अकेला नहीं चलता
अच्छी लगती बचकानी बातें, सच्ची लगती सयानी बातें
हाँ दोस्त मिला मुझे, प्यारी लगती है जिनकी सारी बातें
गलतियों को हमेशा मेरे, अनदेखा वो करते है
ख़ास है सारे दोस्त मेरे, जो हर कदम साथ चलते हैं।
... PikU...
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जम्मो छत्तीसगढ़िया
भाई-बहिनी मन
ला छत्तीसगढ़
स्थापना दिवस
के गाड़ा-गाड़ा
बधाई।
ये ह सिर्फ एक
दिन नोहय बल्कि
ये हम सब
छत्तीसगढ़िया
मन बर तिहार ए।-
मोर आँखी ले आँखी
मिला के तो देख ?💓
एक बार अपन दिल के बात
बता के तो देख ? 💙
संगवारी मन कहात रिहिसे,
तेहा
अब्बड़ 'पूछत रथस' मोला😉
मया हो जाहि तोला💓
एक बार मोर संग 'गोठिया के' तो देख!!💜
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हमर छत्तीसगढ़िया मन के
पहीली तिहार
हरेली
के सब्बो झन ला
गाड़ा गाड़ा बधाई
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तोर अगोरा म ऐ जिनगी चलत हे
तोर सुरता म दिन-रात गुजरत हे
कोन जानी का होही मोर जिनगी के
बस इही ल सोच के आँखी तरसत हे.!!-
मोरे निंदिया ला ते ह गोरी कइसे चुरा ले हस
देखव सपना में तोरे सुरता ते अइसे समागे हस
चंदा भी शिकायत करथे, जागत रहिथो रात भर
ओला कैसे बतावव गोरी तै मन ला मोरे भा गे हस
एक–एक सुरता म सजनी, तै हीं छा गे हस
अपन मया में रानी, बहिया मोला बना ले हस,
तोर बिना मैं कइसे जीथो तोला का बताबव
तै मोर दिल के मंदिर म अपन मूर्ति सजा दे हस
अपने रंग में रंग के गोरी मोला तै रंगा दे हस
जाने ते कइसे सजनी मोला दीवाना बना ले हस
तै अपन नाव ला मोर नाव संग मिला ले हस
हाथ में मोर, तोर हाथ देदे बहुत तै घुमा ले हस।-
छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार हरेली हा आगे,
देख तो संगी लईका मन गेड़ी ला धर भगागे...
किसान मन हा नांगर, कुदारी के पूजा करे बर जावत हे,
बइला मन ला देख तो संगी अाज कईसन सुरतावत हे...
मोर गांव के माटी हा, आज पहिली कस ममहावत हे,
लगथे गांव के नोनी मन, आज मईके घूमे बर आवत हे...
पिट्टुल, फुगड़ी, खोखो के खेल मन हमर शहर मा नंदावत हे,
फेर आज भी गांव मा लईका मन हा, खेले बर सकलावत हे...
हरेली के तिहार हा हमर गंवई मा निक लागे
देख ना संगवारी चारो कोती हरियाली हा छागे...
शहर के मन हा संगी जम्मो तिहार ला भूलावत हे,
फेर गांव के मनखे मन हा, हमर धरोहर ला संजोवत हे
गांव के अईसन रुख हा, मोर मन ला बिक्कट भागे,
आज हमर छत्तीसगढ़ के पहिली तिहार हरेली हा आगे...
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महतारी के मया हे
भारी,
जेकर नई हे कोनो
चिन्हारी,
अइसे के मया पिरित
ला,
झन भुलाहु तुमन
संगवारी ।।-