🤘Na aaj koi hai🤘Na kal koi hai🤘
Mere yaar da to koi competition nahi-
पंडित गावे भजन कीर्तन!
मुल्ला लियो आजान लगाय।
का कर लगन जताऊं तोहसे!
मन विचलित होवत जाय।-
नीलकंठ पै नाग सजै
राधिका संग गोबिंद
राम नाम हनुमान सुमिरै
हमहु खोजी मीत।-
नयनन में छवि बसाए गयो
प्रेम में मोहे डूबाए गयो
मैं तो रही भोली भाली
वो आके मोहे रोग लगाए गयो-
राधा- मटमैला रंग गोबिंद कै
छलिया करै उपहास
सखियाँ-रंगदे आपन रंग सै
फिर काहे की लाज
- रोहन ऋीवास्तव
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तीन लोक तीर्थ नही.
जैसी हुई देखी शरीर पर तोह भाग जाए यमदूत
मुक्ति का असली मतलब क्या है ये गोपाल!!
मुझे मेरी मुक्ति बताओ
ब्रज की धूल जा
माते पर लगे तोह मुक्ति भी मुक्त हो जाये.-
मिलाकर नजरें हमसे
हमें नशे में डुबा दिया !
अब नजरों से नजरों को पिलाने,
हर रोज वो जाम कहाँ लाएं.....? ❤️-
न्याय भूमि पूछी तो मथुरा का नाम लिख दिया
उसका बचपन पूछा तो नंदगांव लिख दिया
उसकी शरारतो का हिसाब मांगा तो बरसाना नाम लिख दिया
उसकी क्रीड़ा का पूछा तो यमुना का किनारा लिख दिया
उसकी बांसुरी की धुन सुन नी चाही तो वृन्दावन धाम लिख दिया
उसे देखना चाहा तो कण-कण में राधाकृष्ण का स्थान लिख दिया ।-
तुम कहाँ की प्रिये,
मैं वृंदा माटी का पला, तुम कहाँ जन्मी प्रिये?
मैं ब्रज का वासी, मेरा प्रेम शुद्ध,
समझ सको तो दिल में,
वरना दिमाग में प्रिये।
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अभी जाहिर नहीं की
हमने अपनी मुहब्बत।
देख तो लें....!!
तीली दी थी जिसे,
उसने आग
लगाई भी है या नहीं ??
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