गहराई होती है मालूम, दरिया मे उतर जाने के बाद याद आता तो है तू,जैसे सालों पहले मर जाने के बाद बस इतना सुकून मुझे देता जा ,अरे ओ जाने वाले मेरा घर, घर सा लगे, मेरे घर जाने के बाद
नहीं रहे कोई मलाल जिंदगी मे यही आखिरी सबाल जिंदगी मे ख्वाइश रखना अच्छी बात है मत करो कोई बबाल जिंदगी मे खामोश रहो अपनों की खातिर अपनों का करो ख़याल जिंदगी मे दिये को तो बुझा दिया जाता है बन ना है,बनो मसाल जिंदगी मे हो खुदगर्ज तुम ये मालूम है हमें दुआ है की रहो खुशहाल जिंदगी मे छीन ली खुशियाँ जो तुमने ओ जाना कर दो अब उनको बहाल जिंदगी मे तू जो देगा वो सब मंजूर ऐ खुदा अब ना देना बस ये साल जिंदगी मे