“निकल गया जब गांव छोड़ मैं, सीने सपने वो चार बेचारे,
बाबा का टूटा नज़र का चश्मा, अम्मा की कुर्ती सिलवाने।
बहना की चुनरी सयानी, छोटे भाई की दवा करवाने,
निकल गया जब गांव छोड़ मैं, हक़ीक़त जान लगा मैं गाने।
ज़ालिम है ये शहर बहुत, पैसा सिवा न अपना प्यारे,
आकाश बहुत है ऊंचा नभ में, दूर बहुत हैं चांद सितारे।”
-