कुलदीप शर्मा   (कुलदीप शर्मा)
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Joined 27 January 2018


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Joined 27 January 2018

मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना,
कैसे बर्बाद हुई मेरी जवानी लिखना!

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भीड़ में चलता हूँ तो याद आता है,
कभी अकेले में अकेला था,
आज भीड़ में अकेला हूँ!

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कई बार ख़ामोश न रहा जाये तो बेहतर है,
रिश्तों का क़त्ल न किया जाये तो बेहतर है!
मरता है हर कोई इस दुनिया में आकर,
बस तुम्हारा इश्क़ न मर जाये तो बेहतर है।

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एक ही तो जान है मेरी,
चाहे तू ले ले,
चाहे ये वतन! 🇮🇳

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आज कल कुछ लिखने का जी नहीं करता,
न लिखूँ तो कुछ करने का जी नहीं करता,

बनाने वाले ने भी क्या खूब बनाया है मुझे,
जो कुछ न करूँ तो जीने का जी नहीं करता।

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कभी-कभी देश हित में इतनी बड़ी क़ीमत चुकानी होती है,
कि उसका अंदाज़ा कोई और नहीं लगा सकता।

ज़िंदगी तबाह हो जाती है, लेकिन आपका ग़ुरूर आपको रोने नहीं देता।

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“उठा कर पटक देती है मुझे अक्सर
मेरी ही ख्वाहिशें...
बाजार की गुलामी करवाती हैं अक्सर
मेरी ही ख्वाहिशें...”

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“दे आशीष मुझे ऐ दुर्गा माँ, भले तेरी पूजा न कर पाऊं।
तिलक लगा इस मिट्टी का, एक रोज़ वतन पर मर जाऊं।”
🇮🇳
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं। 🙏

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ख्वाहिशें जो पूरी न हो तो, अब हैरानी नहीं होती।
सीख लिया है मन को मारना, अब मनमानी नहीं होती।

ए ज़िंदगी तूने दिए है जो लाख सितम मुझको,
कि अब सौ दर्द जो मिले तो, परेशानी नहीं होती।

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कई दफ़ा कुछ नज़्म अधूरे रह जाते हैं,
कई दफ़ा मीलों दूर किनारे रह जाते हैं।

एक दफ़ा पूछ तो लेते ख्वाहिश हमारी,
कई दफ़ा समंदर भी प्यासे रह जाते हैं।

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