'Thappad'
sirf vo nahi,
jo hath utha kar mar diya...
Thappad'
Hai har woh Shabd,
Jo atmasamman pe hamla hai...
Thappad'
hai woh soch,
Jisne jab chaha najar se utar diya...
Woh bas ek Thappad' nahi,
Ek rishte,ek bharose
Ki nilami hai...
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अपनी हीं मोहब्बत से मुकरना पड़ा मुझे
जब मेरी आत्म सम्मान ने पूछ लिया..वो या में..-
Glti h toh sar jhukana...
Nahi h toh tut jana mgr
Apna sar na jhukne dena!!-
लो लुटा दिया मैंने
अपना अहं,अपना सम्मान,
कर दिया मैंने आत्मा समर्पण तुझ पर
अब तुम भी बता दो
अब तो तुम मुझे पहचानते हो ना ?-
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
क्या छोटी सोच से ये समाज उभर पाया है?
क्या अब हम लड़कियों को छोटे कपड़े से नहीं आके जाते?
क्या अब तक लड़कियों के लिए देश आज़ाद हो पाया है??
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
क्या अब दहेज़ की आग में हम लड़कियां नहीं जलेंगी?
क्या अब हम बेटियां भी ये खूबसूरत सी दुनिया देख सकेंगी?
क्या हमारे समाज का हमें लेकर नज़रिया बदल पाया है?
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
क्या अब हम लड़कियां पढ़ भी सकेंगी?
अपने सपनों की उड़ान भर भी सकेंगी?
क्या अब तेज़ाब की मांग पर रोक लग पाया है...?
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
क्या अब कोई दामिनी निर्भया नहीं बनेंगी समाज में?
क्या अब कभी नहीं जलेंगे हमारे चेहरे तेज़ाब से?
क्या अब नहीं बैठेंगी हममें से कोई भी अय्याशी कोठी पे?
कोई तो जवाब दे दो मेरे सवालों का..
क्या वाकई में कुछ भी ऐसा हो पाया है..?
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
आज फिर से मेरे मन में एक सवाल आया है...
#dilsediltak
#सुरभिपांडे
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Hmse kehte hai har wo baat, jo hume thes pahuchati hai.
Fir bhi hm beghairat hai, sunne me sharam na aati hai.
Jee karta hai khud ko lagaye do chaatein mijaaz se.
Atma sammaan ki arthi ab hmse dekhi na jati hai.-
वो रंगों की आड़ में उसका जिस्म छूता गया
फिर हँसकर कह गया तुम्हें होली मुबारक-
Dena hi he agr to sath do, jo haq lge
Sahara nhi, Jo bojh lge-