रोया था उस रात,
तुम्हें याद करके इस क़दर।
भीगे थे मेरे लब उस रात
की तन्हा अस्मा भी रोया मेरे साथ इस क़दर।
अपने सपनों को दफन करके उस रात
अपने ज़ज़्बात को समझाया था इस क़दर।
अपने तकिये को तेरा आगोश समझकर
ज़मी पे पड़ा लिपटा था मैं इस क़दर।
वक़्त की इनायत कुछ यूं हुई उस रात
भूला दिया मैंने फसल्फे प्यार के इस क़दर।
वफ़ा ए मोहब्बत में रोना हर एक को हैं
जैसे कल्ब से रोया था मैं इस क़दर।-
Hey hi..
Hi..
Do I know you?
I guess so..
Sorry, tried to recall all memories from school to college,from working places too..I am not sure I know you..
I am the one who's mother was ur patient.
I was there with her in her all treatment session..
Do I know her name please..
Rashida bi..
Oh u r aslam?
Thanku for recognisation sir..
I am dr.Aslam now..
U were my inspiration,n so I m here..
Stay blessed aslam..
Ameen sir..-
Kitne achhe the tum
Har bat man liya krte the,
Maine socha shayad mohabbat hogi
Islyea har bat pe ha kaha krte the.
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Bistar Se Uthkar Masjid Mein
Ja Na Sake,
Khwahish Rakhte Hai
Qabr se Uthkar Jannat mein Jane ki,-
हम थाम लेंगे दामन तुम्हारा,ये हाथ हमेशा साथ रहे तो छोङेंगे ना सा साथ तुम्हारा...!
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ख़त लिख रहा हूँ अहद-ए-मुहब्बत को तोड़ कर,
काग़ज़ पे आँसुओं की जगह छोड़ छोड़ कर ...
-असलम साहब-
ख्वाहिश तो ना थी किसी से दिल लगाने की,
मगर जब किस्मत में ही दर्द लिखा था
तो मोहब्बत कैसे ना होती।-
एक चाहत है तेरे संग जिंदगी जीने की वरना..!
मुहब्बत तो कल भी किसी से न थी
आगे भी ना होगी। इंशाअल्लाह।।-