झुकी निग़ाहों के साथ आज फिर मैंने उसे विदा किया,
अपने सारे जज़्बात को दिल में दबाकर वो आसानी से मुस्कुरा दिया
कुछ ही दिन के लिए तो जा रहा हूं, इतना क्यों डरना
इस बार दिवाली साथ मनाएंगे तुम बस मेरा इंतज़ार करना
रोकना चाहा मैंने उसे पर किसी तरह खुद को समझा लिया
मुझसे ज्यादा देश को है उसकी ज़रूरत ये सोचकर दिल को तसल्ली दिया
मुश्किल था वो पल मेरे लिए पर मैंने हिम्मत के साथ उसे हौसला दिया
तुम देश की रक्षा करना मै खुद को संभालूंगी,
ये कहकर भारी मन से आज फिर मैंने उसे विदा किया।-
Kash mai jo na kah saki tu sun leta...
Meri hi tarah gum chupa kar mere samne tu bhi mujhe gumo se bachane ke liye berukhi se has leta....-
मेरे दिल में वे बसते,उनके दिल में भारत बसता है।
फौजी की पत्नी हूँ मेरे,दिल में दो दिल बसता है।
जख्मी हो भारत तो आँखें,
दर्द बयाँ कर जाती है,
जख्मी हों वे सरहद पर तो,
बहुत उदासी छाती है,
सबकी नींद है आँखों में,
मेरी आँखों में नींद कहाँ,
उनके दिल से दिल मेरा,साँसों से साँसे चलता है,
फौजी की पत्नी हूँ मेरे दिल में दो दिल रहता है।
खबर मिली आतंकी ने,
सैनिक पर हमला कर डाला,
उनकी ड्यूटी जहां है। खबर में,
उस चौकी का नाम आया,
नाम नहीं संदेशे में कई घायल,
चार शहीद हुए,
प्राण नहीं थे तन में संग,
घरवाले भी ग़मगीन हुए,
दिन गुजर गए रात में,
रात भी मानो दिन हुयी,
मेरे संग मम्मी पापा की,
आँखें भी ग़मगीन हुुई,
रात अचानक फोन बजी,
उनकी आवाज सुनायी दी,
कैसे कह दें हम सब कितने,
रब को आज दुहाई दी,
मगर बज्र सा बना कलेजा,हंसकर बातें करता है,
फौजी की पत्नी हूँ मेरे दिल में दो दिल रहता है,.....!!
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बिछड़ गए तुम जब से,
बातें तो तुम्हारी आज भी याद आती हैं,
वो तुम्हारी खिलखिलाती हसी की झलक जब भी आखों के सामने आती है,
जिन्दा तो तुम आज भी हर दिल में हो,
लेकिन तुमसे मिलने की ख्वाहिश,
अब सिर्फ तस्वीरों से ही पूरी हो पाती है.
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The words of a military wife's heart❤
I am trying to recreate my sad heart,
I am trying to draw the words of my heart with a pen.-
Dil ki aahat hai tumahara didaar krne ki
bas yu aake koi keh de ki tum aa gye ho-
Civilian wife
'' Come home safe. My prayers are with you''
Army wife
'' Keep your motherland safe, my prayers are with you''-
"Indian Army"
करवा चौथ स्पेशल
साथ वहीं है जो,
सहरत पर रहकर भी,
पास महसूस होता है,
मेरे चांद को सलामत रखना,
जय हिंद-
शीर्षक ---इंतज़ार
देखते ही देखते एक पहर बीत गयीं
उसकी याद में ना जाने कितनी रातें यूँ ही बीत गयीं
तनहाइयाँ बस करवटें बदलते बदलते बीत गयीं
वो रेशम की लाल सारी बेरंग सी हो गयीं
उसके आँखों के गहरे काजल अब मिट सी गयीं
और वो लहराते जुल्फ जो अब सफ़ेद सी हो गयीं
वो मुस्कान अब फीकी सी पर गयीं
ललाट की रेखाएँ उभरने लग गयीं
दस्तक इंतज़ार की बढ़ती रही
आहटों में ज़िंदगी कटती रही
आँसुओं से तकिये भींगती रही
उसकी लौट आने की आस यूँ ही चलती रही....
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उन आँखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं, जब मेहँदी वाले हाथों ने मंगल-सूत्र उतारे हैं..!
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