रुक जाओ अभी रात का ढलना बाकी है ।। अंधेरी शाम गुज़र जाएगी सुबह का मिलना बाकी है ।। कल रात जो यादें आई थी । उन धुंधली तस्वीरों से ।। पीछे छोड़े पन्नो पर जो । लिखी थी मिटती स्याही से ।। बस कुछ तलक की है दूरी मेरा मुझसे मिलना बाकी है ।। रुक जाओ अभी रात का ढलना बाकी है ।।
Nami se pucho , Aankho ka haal kaisa hai .. Parvato se pucho , Hawao ka haal kaisa hai .. Jagmata hai chand bhi Roshni se magar Andhere se pucho , Sitaro ka haal kaisa hai ..