दिल का कब्रिस्तान बनाए बैठे हैं
हर ख्वाहिश को दफनाए बैठे हैं
हमें मोहब्बत है उनसे कितनी
ये बात छुपाये बैठे हैं
Pranjal...
-
Relations and Ego...
Both are interconnected..!
The First Fails, if the second is hurt,
And,
The Second Fails, if the First Succeeds..!!
-
कर्म को ही अपना धर्म बनाकर,
ख़ुद से ही तू न्याय कर;
आईना भी फ़र्क करे तुझ पर,
कुछ ऐसे तू कार्य कर!!
@मोऊ # # #
-
ख़्वाब में ही सही;
तू मुझे अपना बना ले,
मैं तुझे सम्हालूँ,
तू मुझे सँवारे!
तुझ से ही हैं मेरे हौसले बुलंद,
न बनने देना मुझे तू कटी पतंग!
ज़िन्दगी की बची साँसें तेरे हवाले,
साथ न छूटे आखरी दम तक!!
@मोऊ # # #-
कितनी अजीब है ये दुनिया,
कितने अजीब हैं ये लोग....
दिल दुखाते हैं, ठोकर लगाते हैं...
कभी अपनी ग़लती पर अफसोस नहीं करते!
कितनी अजीब है ये दुनिया,
कितने अजीब हैं ये लोग...
धोखा देते हैं, चालें चलते हैं...
मगर......अफसोस नहीं करते!
कितनी अजीब है ये दुनिया,
कितने अजीब हैं ये लोग...
अपनों के ख़िलाफ़, अपनों को खड़ा कर देते हैं,
दो-मुहें सांप की तरह फन फहलाते हैं...
मगर...अफसोस नहीं करते!
जो चुप रहता है,उसे ही सुनाते हैं..
जो सहता है,उसे ही सताते हैं...
जो दिल का साफ होता है, उस पर कीचड़ उछालते हैं,
मगर.....अफसोस नहीं करते!
कितनी अजीब है ये दुनिया,
कितने अजीब हैं ये लोग...
झूठ का पहनावा है, मतलब की सजावटें,
लोमड़ी की चाल चलती उल्लूओं की फौजें,
अच्छे इंसान को हमेशा बुरा साबित हैं करते...
मगर......अफसोस नहीं करते!!
@मोऊ # # #
-
जाया न कर अपने अल्फ़ाज़ हर किसी के लिए.....
बस ख़ामोश रह कर देख तुझे समझता को है...!!!-
मेरे मन! तुमने देखा...
किस तरह रिश्तों का हवाला देकर...
परवाह करने का दिखावा करते हैं लोग;
मन के मैल को तन से ढकते हैं लोग!
मेरे मन! तुमने देखा...
कर्म और धर्म में कितना फ़र्क़ रखते हैं...
शब्दों के जाल बुनकर असली चेहरा छुपाते हैं,
ख़ुद को सच साबित करने के लिए,
दूसरों के पास अपना रोना रोते हैँ!
ऐ मेरे मन! तुमने देखा...
अपमान खुलेआम करते हैं,माफ़ी माँगने से कतराते हैं;
पीठ पीछे बुराई और सामना होते ही अच्छाई का गाना गाते हैं;
कर्म और धर्म में कितना फ़र्क़ रखते हैं!
ऐ मेरे मन! तुमने देखा...
एक को सच साबित करने के लिए...
दूसरे को झूठा क़रार देते हैं,
मतलब जहाँ हो,वहीं का रुख़ करते हैं!
अर्थ के अहंकार में डूबे...अर्थ का अनर्थ करते हैं,
अपनों में ही ऊँच-नीच का फ़र्क़ करते हैं!
ऐ मेरे मन!तुमने सब देखा...लोग अनदेखा कर दिये!
ऐ मेरे मन!तुमने सब सुना...लोग अनसुना कर दिये!
ऐ मेरे मन!तुमने सच कहा...लोग ताले जड़ दिये!
ऐ मेरे मन!इस अँधे-गूँगे-बहरों की टोली में...
दिखावे का चश्मा,फ़ायदे के स्वर और...
स्वार्थ की बोली है!!
@मोऊ # # #
-
तुम्हारा ख़याल जैसे...
दिल में मचाता समय का शोर!
तुम्हारा ख़याल जैसे...
बादल देखकर नाचता कोई मोर!
तुम्हारा ख़याल जैसे...
तपते अंगार पर पड़ती बारिश की बूंदें!
तुम्हारा ख़याल जैसे...
गीली मिट्टी की सौंधी-सौंधी ख़ुशबू!
तुम्हारा ख़याल जैसे...
हरे-हरे घास पर बिछी ओस की चादर!
तुम्हारा ख़याल जैसे...
भँवरे की गुंजन,कोयल की कूक!
तुम्हारा ख़याल जैसे...
बारह स्वरों से पिरोई...सुरों के तान छेड़ती..
दूर से आती कोई शहनाई की गूँज!!
@मोऊ # # #
-
Every Closed Door
Is a Question to be Answered...
Or..A Solution to a Problem!-