अगर मरहम लगाने नही है कोई तो
जख्म अब तुम भी अकेला छोड़ दो
यूँ तन्हां रहना नही है हमको
मेरी तन्हाई अब तुम भी अकेला छोड़ दो
नहीं है कोई रुमाल देने वाला
तो आँसू अब तुम भी अकेला छोड़ दो
अगर हो पता मेरी परछाई का
तो उसे भी ये खबर भेज दो
मैंने अकेले छोड़ने की अपील
आज उससे भी की है-
तुम भी किसी और की बातों में आ गए
कम से कम मुझसे पूछ लिया होता
कि मुझसे ऐसी कौन सी खता हो गयी
जो तुम भी चले गए मुझे तन्हा छोड़कर-
बर्बादियों का हसीन...
एक मेला हूँ मैं...
सबके रहते हुए भी...
बहुत अकेला हूंँ मैं...-
क्यों बिरह पथ पर बढ़ रहा...??
अपनों से नाता तोड़ रहा...??
महत्वकंक्षाओं के लिए तू...
क्यों अपनी मिट्टी को भूल रहा...
क्या करेगा तू धन पाकर...
क्या करेगा लाखों जुटाकर...??
लोगों के दिल में अगर तू...
जिंदा खुद को न रख सका...
तो क्या करेगा तु महल बनाकर...
सुन ले हो तो मूर्ख प्राणी....
अंत में तेरे हाथ कुछ ना आएगा...
अकेला ही तू आया था ...
और अकेला ही तू जाएगा....-
Mujhé Áķele ćhal ñe me..❤
Bađá Maza áťa h...🙃
Ńa ķøi áge ćhaltá h...☝️
Ña ķóì piche ŕehtá hai...😒-
जब सबसे ज्यादा जरूरत थी तुम्हारी,
तब तो अकेला छोड़ दिया तुमने।
अब आ कर भी क्या फायदा,
जब सच है तुम्हारा आईने के सामने।-
मौत के गाड़ी मे जिस दिन सोना होगा
उस दिन ना कोई तकिया ना कोई बिछौना होगा
साथ होगी दोस्ती कि कुछ यादे और शमशान का एक कोना होगा
और वहा लिखा होगा, मंजिल तो तेरी यही थी
बस जिंदगी गुजर गई आते आते
क्या मिला तुझे इस दुनिया से
अपनो ने ही जला दिया जाते जाते-
इतनी बड़ी दुनिया में
मैं अकेला
बहुत संगी बहुत साथी
फिर क्यों मैं अकेला ?
अपने में ही रहना चाहूं
कलम से दिल की बात बताऊं
अकेलेपन में भी एक सुकून पाऊं
फिर क्यों मैं अकेला ?
खुद से बातें करता
अपने में ही हंसता
दुनिया के लिए पगला
शायद इसीलिए मैं अकेला।-
Khud hi akela ldta rha gam dard tklifo se...
kuch na maanga tha kbhi tujhse
Ae mere rab usko lauta de. Ek khushi to dede..
tu janta h uska pyar mere liye Aisa h..
jaise Kai dino ke bhukhe ki hatheli pr ...Ek waqt ki Roti rakh de
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