*क्या अच्छे दिन लाओगे क्या...?*
दर दर भटकता मुसाफिर बैठ कर पूछने लगा..!!
हाथ में लिए चंद रूपये और अपने आप को कोसने लगा...!!
वो भी फस चुका है जाल में..!!
बिक गया उसका भविष्य चोरों और दलालों के हाथ में..!!
अब वो सोच सोच पस्ताता हैं..!!
तेल और राशन के भाव देख कर बीबी से भी नज़रे चुराता है ....!!
Coming soon part-2-
8 JUL 2021 AT 13:29
5 MAY 2021 AT 14:32
चले गए जो स्वांस की कमी से जूझते हुए।
बस इक सवाल आंखों की नमी से पूछते हुए।
की अस्पताल भी क्यों आज इतना असहाय है!
क्या असल में अच्छे दिनों का यही अभिप्राय है?
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12 DEC 2018 AT 15:20
Kya din dikhaye Modiji ne..
Congress jeetne pe genuinely khushi ho rahi hai...-