My heart was carrying his authentic existence
And he was busy in erasing my negligible presence.-
ମୁଁ ଦରକାର ସମୟରେ ତୁମ ଦରକାରରେ ଆସି ପାରେ
କିନ୍ତୁ ତୁମ ପାଇଁ ଦରକାରୀ ହୋଇ ରହିବାକୁ ଚାହେଁନା!-
My side of the story
And sealed my lips closed
And shut my eyes sealed
And buried me alongside my lifestory
As if I did'nt even have a side of a story
And then they even forgot to ask me
How that feels.
(Which in the Hereafter, ofcourse
eventually will be revealed)-
तुम्हारा नंगा पन"
तुम्हारा उभरता हुआ बदन, मेरेखड़े हुए लिंग को और सख्त बना देता है... हर मुद्रामें तुम जब हिलती हो, मेरीनसों में आग बह जाती है।
तुम्हारे स्तनों का भारीपन, मेरेहाथों को बेचैन कर देता है, जब तुम झुकतीहो आगे की तरफ, मेरालंड और भी तन जाता है।
तुम्हारी गोल जांघों के बीच, मैंअपना चेहरा दबाना चाहता हूँ, तुम्हारीगीली गर्मी में, अपनीजीभ डुबो देना चाहता हूँ...
और जब तुम मुझपर बैठोगी, मेरासख्त लंड तुम्हारे भीतर जाएगा, हम दोनोंकी तड़प एक साथ मिलेगी, और येपल हमें स्वर्ग दिखाएगा...-
A single drop of mine touched his face,
he brushed me aside,
leaving me to dissolve into nothingness.-
**"जंगल का रस"**
हमारी देहें चिपकीं
उस गर्म घने अंधेर में,
जहाँ बेलें हमारी छालों को
छूने लगीं...
तुम्हारी साँसों की गर्मी
मेरी गर्दन पर भाप बनकर उठी,
और जब मैंने तुम्हें दबोचा,
किसी जानवर की तरह,
तुम्हारी चीख ने पक्षियों को उड़ा दिया...
गीली मिट्टी पर हमारे निशान,
हमारे पसीने की खुशबू
जंगल की हवा में घुल गई—
तुम्हारे नाखून मेरी पीठ में
जैसे कोई बेल चढ़ रही हो...
और जब हमारे शरीर एक हुए,
पेड़ों की छाल ने देखा
कैसे हमने जंगल के देवता को
पुकारा— अपनी चीखों से,
अपने रस से,
अपने उन्माद से...
**भाव:** जंगल की कामुक उष्मा, जहाँ प्रकृति और देह का मिलन होता है।
**विशेषताएँ:**
- प्रकृति और कामुकता का मिश्रण
- जंगल की ध्वनियों और संवेदनाओं का वर्णन
- अप्रत्याशित स्थान पर रोमांच
क्या आप चाहेंगे:
- अधिक जानवरों वाली प्रतीकात्मकता?
- जलप्रपात या नदी के पास का दृश्य?
- अधिक आदिम/क्रूर भाषा?
आपकी पसंद के अनुसार बदला जा सकता है।-
Not knowing
that our feeling
of regret was our biggest
misconception.
There are no regrets
for any choices perceived
as good or bad, in full awareness,
there is just perception.-
**"जंगल का रस"**
हमारी देहें चिपकीं
उस गर्म घने अंधेर में,
जहाँ बेलें हमारी छालों को
छूने लगीं...
तुम्हारी साँसों की गर्मी
मेरी गर्दन पर भाप बनकर उठी,
और जब मैंने तुम्हें दबोचा,
किसी जानवर की तरह,
तुम्हारी चीख ने पक्षियों को उड़ा दिया...
गीली मिट्टी पर हमारे निशान,
हमारे पसीने की खुशबू
जंगल की हवा में घुल गई—
तुम्हारे नाखून मेरी पीठ में
जैसे कोई बेल चढ़ रही हो...
और जब हमारे शरीर एक हुए,
पेड़ों की छाल ने देखा
कैसे हमने जंगल के देवता को
पुकारा— अपनी चीखों से,
अपने रस से,
अपने उन्माद से...-
more about rowing into deeper waters,
how to read the warbles,
enjoy each splash better,
handle my oar against uncertain wind
and face the swelling waves shouting louder,
master the current like a big fisherman
to catch fishes lying deeper
feel the throbbing ripples rising ,higher
understand river’s language still better ;
I come to know life is a short journey
across the uncertain monsoon river
with every shower growing bigger and bigger
with hidden dangers of floods
till it would overstep the shore,
to take us on a ride to a new door
perhaps enter
a world better !
@ Saroj K Padhi
01/07/29
-
**"चॉकलेट और तुम"**
मैंने चॉकलेट पिघलाई
तुम्हारे उभारों पर—
धीरे-धीरे बहती मिठास
जैसे गर्म शहद की नदी...
मेरी जीभ ने चखा
वो मीठे-नमकीन स्वाद—
तुम्हारी त्वचा का नमक
और डार्क चॉकलेट का पागलपन...
तुम हंसी जब मैंने चूमा
वो टपकता हुआ अमृत—
"और खा" तुमने कहा,
मैं डूब गया तुम्हारी मिठास में...
हमारी चिपचिपी खेल
बन गई दावत—
तुम्हारे स्तनों पर मेरे होंठ
चॉकलेट से भी मीठे...-