ये जुल्फ़े संवार लो, मौसम सुहाना होने को है,
नज़रें उठा कर इधर भी देखो कोई दीवाना होने को है।-
कितने गम दिए तेरी मोहब्बत ने,
अब ये तुझे बताएं क्या ?
बस ख़त न जले, जले जज़्बात मेरे,
अब तुझे जज़्बात दिखाएं क्या ?
जिससे सीखी हो मोहब्बत 'गिरी',
अब उसे मोहब्बत सिखाएं क्या ?
क्या-क्या न जला इश्क़ में तेरे,
क़ाफ़िर अब ख़ुद को ही भूल जाएं क्या ?
तुझे तो मेरी दीद भी है नामंजूर,
अब हम तेरा शहर छोड़ जॉए क्या ?-
दस्तक़
ज़िन्दगी ने आज फिर मेरे दरवाज़े पे दस्तक दी हैं, क्या किसी नए ग़म की साजिश की है। हर पल ये बैचैनी रहती है, की क्या कही इसने किसी के प्यार की खुश्बू को मेरे तक पोहचाने कि कोशिस की हैं।।।-
जीवन भी कविता हो सकती हैं,
बस उसे लिखना आना चाहिए।
दवा, दुआ बन सकती है,
फरियाद करना आना चाहिए।
हर जख्म भर सकता है ,
बस वक़्त पे दावा देना, आना चाहिए।
इश्क़ भी मुकमल हो सकता है,
बस साथ निभाना आना चाहिये।
हाथों की लकीरें बदल सकती हैं,
मेहनत पे यकीन होना चाहिए।
पराए भी अपने हो सकते हैं,
बस दो शब्द प्यार के आने चाहिए।।।
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When the things is not in your hand give it to your copy and pen...
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Gair ne tujhko jaan kaha
Samjhi bhi ho ki kya kaha
Yani ki bewafa kaha
Jaan ka aitbaar kya-
बस यूँही हर बार तेरे पास होना हैं, हर लम्हा तुझमे बीते बस यूँही तुझमे खोना हैं।
तेरी हर मुस्कुराहटों की बस यूँही वज़ह होना हैं।
हर वक़्त बस तेरा वक़्त हमें होना हैं । बस यूँही तेरे बीते हुए हर पल की याद होना हैं, तेरे आने वाले कल की ख़ुश्बू होना हैं,बस यूँही। बस यूँही, मुझे तेरा होना हैं।।।।।।-
मेरे जज़्बातों में सलीक़ा है एक,
मैं शब्दों की खींच तान नहीं रखता,
मैं तुम्हें साफ सीधे अपना लिखता हूँ,
तुम्हारे सामने गाड़ी मकां नहीं रखता।-