हाँ तुम सच्ची...
और में झूठा....-
अपने ही घर से हमारी विदाई हो जाती है.....
कुछ रस्मों के बाद ही बिटिया पराई हो जाती है!!!!!!-
हो गयी है दुखों से गहरी दोस्ती मेरी
सुख के पीछे पड़ूँ मेरी फितरत नहीं है
अंधेरे में रास्ते ढूंढ लेता हूँ मैं अब
उजाले से कह दो तेरी जरूरत नहीं है-
ज़रा सा मौसम क्या बदला
कि परिंदों ने देश छोड़ दिया
अब लौट पेड़ से लड़ते हैं
कि शाख ने घर तोड़ दिया-
मैं डायरी में ख्वाहिशें लिखकर, पन्ने मोड़ देता हूँ
मैं दूसरों के सपने सँजोता, खुद के तोड़ देता हूँ
मैं struggler हूँ साहब मेरा संघर्ष भी अजब है
मैं घर चलाने के लिए घर छोड़ देता हूँ-
बनो तुम दर्पण तो मेरा प्रतिबिम्ब बन जाना ❣️
अगर थाम लो ये हाथ तो जीवन सार बन जाना ❣️
✍️नेहा आभा नौटियाल
उत्तरकाशी (देवभूमि) ⛰️-
उनका वादा था ले चलेंगे तारों के शहर में
Oyo के नीचे गाड़ी खड़ी थी भरी दोपहर में-
अफवाहें मेरे नाम से तमाम कर रहा है
सर-ए-राह मुझको बदनाम कर रहा है
ख़रीद लो मुझे ऐ मेरे चाहने वालो
मैं जिसका था मुझे अब नीलाम कर रहा है-
देखो मैं समाज का सलीका ठुकरा के आ रहा हूँ
मुझे फूट-फूट रोना था, मुस्कुरा के आ रहा हूँ
मैं अपनी मौज में हूँ रस्तों की फिक्र नहीं करता
किसी ने बिछाए हैं काँटे, मैं सर उठा के आ रहा हूँ
मुझे क्या वास्ता ठहरे हुए दरिया का देते हो
मैं मौजों से मस्त रवानी, चुरा के आ रहा हूँ
अबके मिलना तो तुम मेरे सीने से मत लगना
मैं अभी अभी ग़म सीने में दबा के आ रहा हूँ-
मैं लिखता रहूँगा ये ग़ज़लें यूँ ही
याद आये मेरी तो पढ़ना छोड़ दे
वो जुदाई मैं कैसे लिखूँ ऐ सनम
तुझे जो अच्छा लगे इसमें जोड़ दे
चन्द ग़ज़लें लिखीं हैं तेरे प्यार में
तू न आँसू बहा पन्ने मोड़ दे
लिख नहीं पा रहा बेवफाई तेरी
एक एहसान कर ये कलम तोड़ दे-