आभा जिन्दगी की उससे ही होती है।
माँ के संग एक नेह सी होती है।।
✍️ नेहा आभा नौटियाल-
लौट आता है गुजरा त्यौहार
पर लौट कर नहीं आता गुजरा इंसान
✍️ नेहा आभा नौटियाल
देवभूमि-
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तुम्हे प्रेम से
लिखा नहीं जाना चाहिए था ।
उन्हे प्रेम से
पढ़ा जाना चाहिए था ॥
नहीं नहीं
अपितु उन्हे प्रेम से समझा जाना चाहिए था ।
✍️ नेहा आभा नौटियाल-
जहाँ सब लिखते है
वहाँ हम सोचते है
कि क्या लिखा जाना चाहिए
लिखा नहीं कुछ रचा जाना चाहिए
परन्तु कितना अर्द्ध या सम्पूर्ण
आपके मस्तिष्क में सम्पूर्ण आना वाजिब है ।
क्योंकि मनुष्य सम्पूर्ण चाहता है
परन्तु उसे मालूम है कि वो अर्द्ध भी नहीं
✍️ नेहा आभा नौटियाल-
जब तुमने किसी मनुष्य को शरीर छोड़ते देखा
तो तुमने क्या देखा ।
मैनें सम्पूर्णता को प्राप्त करते मनुष्य को शून्यता
को प्राप्त करते देखा ॥
परन्तु ये बात उतनी ही काल्पनिक थी जितनी कि ये सृष्टि
सत्य तो यह था कि एक अप्रकाशित बिन्दु को अनन्त में स्थित एक प्रकाशित ज्योति से मिलते देखा ;
परन्तु ये मिलन था एक आत्मा का अनन्त में स्थित परमात्मा से जिसके पास पहुँचते ही एक अप्रकाशित आत्मा ने भी अनन्त प्रकाश प्राप्त कर लिया और यह चक्र पुन्रवृति चक्र था जो हमे ये बता रहा था ना ही कोई शून्य है और ही कोई सम्पूर्ण सबके पास एक अनन्त है जिसे प्राप्त किया जा सकता है । ।
✍️ नेहा आभा नौटियाल
देवभूमि-
जिन्होने पायी है संघर्ष से मंजिल उन्हे मालूम है अहमियत
छोटे से पत्थर की भी
जिन्हें मिली है मंजिल आसानी से उन्हे हमेशा से लगे पत्थर एक रुकावट ❣️
✍️ नेहा आभा नौटियाल-
जो धन के पीछे भागा है🎀
धन उससे दूर ही जाता है🎀
- नेहा आभा नौटियाल-
सबकी नजरे थी आसमान पर💙
हमने जमी को देखना नहीं छोड़ा🤎
- नेहा नौटियाल-
मैं नहीं चाहती
जीवन में इतनी व्यस्तता हो
कि हम अपनों ही भूल जायें-