सुभाषित:
"
मैत्री करूणा मुदितोपेक्षाणां।
सुख दु:ख पुण्यापुण्य विषयाणां।
भावनातश्चित्तप्रासादनम्।
– पातञ्जल योग १।३३"
आनंदमयता, दूसरे का दु:ख देखकर मन में करूणा, दूसरे का पुण्य तथा अच्छे कर्म समाज सेवा आदि देखकर आनंद का भाव, तथा किसीने पाप कर्म किया तो मन में उपेक्षा का भाव ‘किया होगा छोडो’ आदि प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न होनी चाहिए।
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1 JUN 2020 AT 11:53
1 NOV 2019 AT 21:25
जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः ।
नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम् ||
Righteous persons, well versed in poetry and lord among poets, who are unconcerned about
their fame and upkeep of their body and are also not afraid of old age and death, are the real winners in their life.
सुभाषितम्-
1 NOV 2019 AT 21:21
जयन्ति ते सुकृतिनो रससिद्धाः कवीश्वराः ।
नास्ति येषां यशः काये जरामरणजं भयम् ||
सुभाषितम्-
15 JAN 2022 AT 11:22
" जाकी रही भावना जैसी,
प्रभु मूरत देखी तिन्ह तैसी।"
करणामृतं सूक्तिरसं विमुच्य ,
दोषे प्रयत्न: सुमहान् खलानाम्।
निरीक्षते केलिवनं प्रविश्य,
क्रमेलक: कण्टकजालमेव।।
-विल्हण ( विक्रमाङ्कदेवचरिते)
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